TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Social Media Law: अलर्ट हो जाएँ सोशल मीडिया यूजर, अब ये पोस्ट SC/ST एक्ट के दायरे में आएगा

Social Media Law: केरल उच्च न्यायालय ने SC/ST एक्ट को लेकर कहा कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करता है, तो उस पर SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

Krishna Chaudhary
Published on: 29 July 2022 11:58 AM IST
Social Media Law
X

Social Media New Law Kerala High Court (image social media)

Social Media Law: केरल उच्च न्यायालय ने SC/ST एक्ट को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत के मुताबिक, अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करता है, तो उस पर SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट का ये फैसला एक यूट्यूबर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए आया। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल युग में हर बार जब पीड़ित अपमानजनक सामग्री देखेगा तो माना जाएगा कि आपत्तिजनक टिप्पणी उसकी उपस्थिति में की गई है।

क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता जो कि एक यूट्यूबर है ने एक साक्षात्कार के दौरान एसटी समुदाय से आने वाली एक महिला के खिलाफ अपमान जनक टिप्पणी की थी और बाद में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर भी अपलोड कर दिया था। बाद में गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की। याचिका में आरोपी ने दलील दी कि पीड़िता साक्षात्कार के दौरान उपस्थित नहीं थी, इसलिए एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।

याचिका के विरोध में पीड़िता का तर्क

आरोपी के याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि केवल पीड़ित की मौजूदगी में की गई टिप्पणी ही अपमानजनक टिप्पणी होंगी, ऐसा मानना उचित नहीं होगा। डिजिटल युग में अगर इस तरह की व्याख्या को अपनाया गया तो इस कानून का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। पीड़िता के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि साक्षात्कार को देखने से यह पता चलता है कि आरोपी जानबूझकर एसटी समुदाय के सदस्य का अपमान कर रहा था।

अंत में सभी पक्षों को सुनने के बाद केरल हाईकोर्ट ने माना कि साक्षात्कार में अपमानजनक शब्दों का कई बार प्रयोग किया गया है। आरोपी जानता था कि पीड़िता एसटी समुदाय से आती है, इसलिए जानबूझकर अपमानजक टिप्पणी की गई। अदालत ने कहा कि डिजिटल युग में किसी व्यक्ति की मौजूदगी ऑनलाइन या डिजिटल रूप में मानी जाएगी। इसका मतलब ये कि जब कोई शख्स सोशल मीडिया अपलोड किए गए कंटेट तक पहुंच जाता है तो उसे प्रत्यक्ष रूप से मौजूद माना जाएगा।



\
Prashant Dixit

Prashant Dixit

Next Story