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Sonia Gandhi: सोनिया ने तोड़ी चुप्पी, PM मोदी पर बोला हमला, कहा- जबरदस्ती चुप कराना मुश्किलों का हल नहीं

Sonia Gandhi: बोलीं- पीएम मोदी जरूरी मुद्दों पर चुप हैं। उनकी सरकार के कामकाज से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है। बड़े मुद्दों पर जो भी जायज सवाल पूछा जाता है, पीएम उस पर चुप्पी साध लेते हैं।

Ashish Pandey
Published on: 11 April 2023 10:14 PM IST (Updated on: 11 April 2023 10:23 PM IST)
Sonia Gandhi: सोनिया ने तोड़ी चुप्पी, PM मोदी पर बोला हमला, कहा- जबरदस्ती चुप कराना मुश्किलों का हल नहीं
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सोनिया गांधी- पीएम नरेन्द्र मोदी: Photo- Social Media

Sonia Gandhi: राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद पहली बार सोनिया गांधी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। सोनिया गांधी ने जांच ऐजेंसियों के दुरुपयोग, अडानी स्कैम, आरएसएस पर भी निशाना साधा है। पीएम मोदी और उनकी सरकार को लेकर अपनी राय देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि देश को चुप करा देने से देश की परेशानियां हल नहीं हो जाएंगी। पीएम मोदी जरूरी मुद्दों पर चुप हैं। उनकी सरकार के कामकाज से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है। बड़े मुद्दों पर जो भी जायज सवाल पूछा जाता है, पीएम उस पर चुप्पी साध लेते हैं। सोनिया गांधी ने रामनवमी पर देश में हुई हिंसक घटनाओं का भी जिक्र किया है। उन्होंने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने के मामले पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला। सोनिया ने द हिंदू में लिखे अपने लेख में मोदी सरकार पर संसद में विपक्ष की आवाज दबाने, एजेंसियों के दुरुपयोग, मीडिया की आजादी खत्म करने, देश में नफरत और हिंसा का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने टीवी चैनलों पर होने वाले डिवेट पर भी सवाल उठाया है।

आइए जानते हैं सोनिया गांधी ने आर्टिकल में क्या-क्या लिखा-

-पीएम की कथनी-करनी में फर्क

सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा है कि देश की जनता अब यह जान चुकी है कि मौजूदा हालात में पीएम मोदी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। जब वे विपक्ष के खिलाफ गुस्सा जाहिर नहीं कर रहे होते हैं या आज की परेशानियों के लिए बीते जमाने के नेताओं पर आरोप नहीं लगा रहे होते हैं, तो उनके सभी बयानों से जरूरी मुद्दे या तो गायब होते हैं या वे बड़ी-बड़ी, लुभावनी बातें करके इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, उनके एक्शन से साफ पता चलता है कि इस सरकार की असली मंशा क्या है।

-हमारे जायज सवालों पर चुप हैं

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को चुप करा देने से देश की परेशानियां हल नहीं हो जाएंगी। प्रधानमंत्री जरूरी मुद्दों पर चुप हैं, उनकी सरकार के कामकाज से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है, इन्हें लेकर हमारे जो जायज सवाल हैं, उन पर वे चुप हैं। किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम होने के बाद पीएम बड़े आराम से चुप हो गए हैं। लेकिन बढ़ते खर्च और फसल की घटती कीमत वाली उनकी समस्या आज बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बेरोजगारी और महंगाई का नाम भी नहीं लिया, जैसे कि देश में ये समस्याएं हैं ही नहीं। उनकी ये चुप्पी उन लोगों के किस काम की है, जो रोजाना दूध, सब्जी, तेल और गैस भी नहीं खरीद पाते हैं। ये चुप्पी उस युवा के किस काम की है जो अब तक की सर्वाधिक बेरोजगारी दर से जूझ रहा है। हमने देखा है कि चीन के साथ बॉर्डर के मसले पर कैसे पीएम मोदी चीनी घुसपैठ को नकारते रहे हैं, सरकार इस मामले में संसद में चर्चा को रोकती आई है और विदेश मंत्री ने हार मान लेने वाला रवैया अपना लिया है।

देश में नफरत और हिंसा का माहौल-

बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इनके लोगों ने देश में जिस नफरत और हिंसा को बढ़ावा दिया था, वह अब बढ़ती जा रही है और पीएम मोदी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने एक बार भी शांति या सौहार्द्र बनाए रखने की बात नहीं कही है या दोषियों पर लगाम कसने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, ऐसे में उन्हें सजा मिलना तो दूर की बात है। उन्होंने कहा कि धार्मिक त्योहार अब खुशी और उत्सव का पर्व नहीं रह गए हैं, बल्कि केवल दूसरों को डराने और परेशान करने का मौका बनकर रह गए हैं। अब लोगों को उनके धर्म, खानपान, जाति और भाषा के आधार पर अलग-थलग किया जाता है।

सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाई-

सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार के सामने एक मजबूत विपक्ष था, जो अपने सवालों पर टिका हुआ था। इस वजह से नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिए ऐसे कदम उठाए, जो पहले कभी नहीं उठाए गए थे। सरकार ने विपक्षी सांसदों की भाषण हटाया, हमें चर्चा करने से रोका, संसद सदस्यों पर हमला किया और आखिर में बिजली की रफ्तार से एक कांग्रेस सांसद की सदस्यता रद्द कर दी। इस कारण से लोगों के 45 लाख करोड़ रुपए का बजट बिना किसी चर्चा के ही पास हो गया। बल्कि प्रधानमंत्री उस समय अपने संसदीय क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने में व्यस्त थे, जब लोकसभा में फाइनेंस बिल को जबरदस्ती पारित किया गया था।

सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग किया-

सोनिया गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सीबीआई और ईडी का जो दुरुपयोग किया है, वह सबको पता है। 95 प्रतिशत से अधिक राजनीतिक मामले केवल विपक्षी पार्टियों के खिलाफ दाखिल किए गए हैं और वे लोग जो भाजपा ज्वाॅइन कर लेते हैं, उनके खिलाफ केस किसी जादू की तरह गायब हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का जर्नलिस्ट्स, एक्टिविस्ट्स और थिंक-टैंक्स के खिलाफ किया गया इस्तेमाल चैंकाने वाला है। पीएम मोदी सच्चाई और न्याय के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन पीएम के चुने गए एक बिजनेसमैन पर जब फ्रॉड का आरोप लगता है तो वह नजरअंदाज कर दिया जाता है। इंटरपोल ने एक भगोड़े मेहुल चैकसी के खिलाफ नोटिस वापस ले लिया और बिलकिस बानो के रेप के दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद वे भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा करते दिखे। इस सरकार में न्यायपालिका की विश्वसनीयता को खत्म करने की योजनाबद्ध कोशिशें अब चरम पर पहुंच गई हैं। केंद्रीय कानून मंत्री रिटायर्ड जजों को एंटी-नेशनल कहते हैं और धमकी देते हैं कि उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी। यह भाषा जानबूझकर लोगों को गुमराह करने और जजों को डराने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

अब डिबेट सरकार से सवाल करने वालों को चुप कराने के लिए होती है-

उन्होंने कहा कि मीडिया की आजादी तो काफी पहले ही मोदी सरकार की राजनीतिक धमकियों की भेंट चढ़ चुकी है। इसमें भाजपा के दोस्तों का आर्थिक दखल बड़ा कारण है। अब न्यूज चैनलों पर शाम की डिबेट सरकार से सवाल करने वालों को चुप कराने के लिए होती है। इतना ही नहीं, सरकार ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नियमों में बदलाव करके खुद को ये कानूनी ताकत भी दे दी है कि फेक न्यूज का लेबल लगाकर किसी भी खबर की कानूनी सुरक्षा को खत्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में साफ किया था कि सरकार की आलोचना करना कानूनी कार्रवाई का आधार नहीं होना चाहिए। क्या सरकार सुन रही है? इसमें कोई शक नहीं है कि भाजपा और आरएसएस के वकीलों की एक फौज हर उस प्लेटफॉर्म को परेशान करने के लिए तैयार रहते हैं जो उनके महान नेता के बारे में आलोचना करता है।

मोदी को लोकतंत्र और अपने लोकतांत्रिक दायित्व से नफरत-

सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा है कि पिछले कुछ महीनों में पीएम मोदी और उनकी सरकार ने भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों- न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को उखाड़कर फेंक दिया है। पीएम मोदी के एक्शन बताते हैं कि उन्हें लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही से कितनी नफरत है। संसद की हालिया कार्यवाही को देख लीजिए। हमने देखा कि कैसे सरकार ने योजना बनाकर संसद को लगातार भंग किया और विपक्ष को उन मुद्दों को उठाने से रोका जो इस देश की जनता के लिए बेहद जरूरी थे। इन मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई, सालाना बजट और अडाणी स्कैम से जुड़े सवालों पर चर्चा शामिल थी।

अगले कुछ महीने लोकतंत्र की परीक्षा के हैं-

सोनिया गांधी ने कहा कि पीएम मोदी की सभी कोशिशों के बावजूद, भारत के लोग चुप नहीं कराए जा सकते हैं और हम चुप होंगे भी नहीं। आने वाले कुछ महीनों में हमारे लोकतंत्र की कड़ी परीक्षा होनी है। हमारा देश इस समय दोराहे पर है। क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार हर शक्ति का गलत इस्तेमाल करने पर आमादा है और बड़े राज्यों में चुनावों को प्रभावित कर रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सीधे लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने की हर कोशिश करेगी, जैसा उसने भारत जोड़ो यात्रा में किया था। सोनिया गांधी ने कहा कि हम समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर देश के संविधान और उसके आदर्शों को बचाएंगे। हमारी लड़ाई लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। हम मुख्य विपक्षी पार्टी होने के अपने दायित्व को समझते हैं और समान-विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करके इस दायित्व को पूरा करने के लिए तैयार हैं।

सोनिया गांधी ने अपने लेख में पीएम मोदी और केंद्र सरकार के साथ-साथ आरएसएस पर भी जोरदार हमला बोला है। राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने, संसद न चलने देने का आरोप भी केंद्र सरकार पर लगाया है।



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Ashish Pandey

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