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कृषि कानून: नई रणनीति में जुटी सोनिया गांधी, संसद सत्र से पहले किया ऐलान
कृषि कानून के मामले को लेकर बजट सत्र से पहले कांग्रेस की अंतरिक्ष अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं से बात कर साझा रणनीति बनाने पर जोर दिया है।
नई दिल्ली: कृषि कानून को लेकर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन का आज 47वां दिन है। कृषि कानून को समर्थन देने वाली कांग्रेस पार्टी अब एक नई रणनीति तैयार करने में जुट गई है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने सोमवार को विपक्षी नेताओं के साथ कृषि कानून मामले पर आगे की रणनीति को लेकर बातचीत की हैं। माना जा रहा है कि संसद सत्र से पहले सभी विपक्षी दल कृषि कानून के मसले पर नई रणनीति का खाका तैयार करने के लिए बैठक भी कर सकते हैं।
बजट सत्र से पहले विपक्षियों की बैठक
आपको बता दें कि देश में कोरोना महामारी के कारण केन्द्र ने संसद का शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया था। केन्द्र सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने कई सवाल भी उठाए थे। अब जबकि केन्द्र सरकार संसद के बजट सत्र के आयोजन का ऐलान कर चुकी है। वहीं कृषि कानून के मामले को लेकर बजट सत्र से पहले कांग्रेस की अंतरिक्ष अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं से बात कर साझा रणनीति बनाने पर जोर दिया है।
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कृषि कानून पर आज हुई सुनवाई
जैसा कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानून से जुड़ें सभी मामलों की सुनवाई की गई। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने सरकार से कहा, “जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, उससे हम निराश हैं। हमें नहीं पता कि सरकार की किसानों से क्या बातचीत चल रही है?” वहीं CJI ने सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कहा, “आप कृषि कानूनों पर रोक लगाएंगे या हम कदम उठाएं? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कमेटी बनाने के लिए नाम मांगे हैं।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बयान
वहीं, मामले की जानकारी देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “कल तक नाम सौंप दिए जाएंगे। ऐसे में बिना आदेश पास किए ही आज की सुनवाई खत्म हो गई। नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन को 1 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया। लेकिन, सरकार के साथ आठ दौर की बातचीत के बावजूद भी अब मसले का हल नहीं निकल पाया है।“
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अहम हो सकती है विपक्षियों की बैठक
सरकार के इस तरह के रवैये को देखते हुए कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने किसानों के समर्थन में अपनी आवाजें बुलंद कर रही हैं। ऐसे में बजट सत्र से पहले कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस द्वारा बुलाई जाने वाली ये बैठक काफी अहम हो सकती है।
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