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Cheetah in India: दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लेकर ग्वालियर पहुंचा भारतीय वायु सेना का विमान, जानिए दुनिया में क्यों ये सबसे खास

Cheetah in India: भारत के जंगलों से गायब हो चुके चीतों को फिर से बसाने की कवायद तेजी से जारी है। इसके तहत विदेश से चीतों की दूसरी खेप आज यानी शनिवार 18 फरवरी को भारत के कूनो नेशनल पार्क पहुंच रही है।

Krishna Chaudhary
Published on: 18 Feb 2023 11:30 AM IST (Updated on: 18 Feb 2023 11:37 AM IST)
Cheetah in India
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Cheetah in India (Photo: Social Media)

Cheetah in India: भारत के जंगलों से गायब हो चुके चीतों को फिर से बसाने की कवायद जारी है। दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लेकर भारतीय वायु सेना (IAF) का C-17 ग्लोबमास्टर विमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक, इन सभी चीतों को ग्वालियर से अब कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। कूनो नेशनल पार्क केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर पहुंच गये हैं।

सीएम और मंत्री चीतों को करेंगे रिलीज

साउथ अफ्रीका से आए इन चीतों को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी के वन मंत्री विजय शाह बाड़ों में रिलीज करेंगे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पहुंचने की भी संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि सीएम शिवराज दो चीतों को बाड़ों में रिलीज करेंगे, बाकी चीतों को केंद्रीय मंत्री और अन्य मेहमान रिलीज करेंगे।

सितंबर 2022 में आई पहली खेप

भारत में अफ्रीका से चीतों की पहली खेप पिछले साल सितंबर 2022 में भारत आई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर को नामीबिया से कूनो 8 चीते लाए गए थे। जिनमें 4 नर और 4 मादा थे। पीएम मोदी ने स्वयं इन चीतों को बाड़ों में रिलीज किया था। वन अधिकारियों के मुताबिक, नामीबिया से लाए गए चीते कूनो के वातारवरण में ढल चुके हैं और ये लगातार वन्यजीवों का शिकार कर रहे हैं।

चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने जानवर

आपको बता दें कि चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है। यह 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। चीते का छोटा सिर, लंबी टांगे और पतला शरीर, इसे रफ्तार पकड़ने में मदद देती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में चीते सात दशक पहले ही विलुप्त हो चुके हैं। इसे आखिरी बार 1948 में देखा गया था। उस साल सरगुजा के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने तीन चीतों का शिकार किया था। बताया जाता है कि यही आखिर चीते थे। 1952 में भारत सरकार ने चीतों के विलुप्त होने की घोषणा कर दी थी।



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Prashant Dixit

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