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तंत्र विद्या की यूनिवर्सिटी पहुंचे अखिलेश यादव, बोले -सरकार बनी तो कराएंगे विकास
सपा नेता ने मुरैना में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर का दर्शन किया है। सपा मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार चौसठ योगिनी मंदिर जाकर उन्होंने सुखद अनुभव किया।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थित तंत्र विद्या के प्राचीन विश्वविद्यालय चौंसठ योगिनी मंदिर का दर्शन किया है। मंदिर का दर्शन करने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि अगली बार उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर वह मंदिर क्षेत्र का विकास कराएंगे।
मुरैना में स्थित है तंत्र विद्या के प्राचीन विवि चौंसठ योगिनी मंदिर का दर्शन
सपा नेता ने मुरैना में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर का दर्शन किया है। सपा मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार चौसठ योगिनी मंदिर जाकर उन्होंने सुखद अनुभव किया। इस प्राचीन एवं महत्वपूर्ण मंदिर के इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की कमी को देखकर दुखी हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार को इसके रख रखाव के लिए बेहतर इंतजाम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में सपा सरकार बनने पर मंदिर क्षेत्र का विकास कराने की मंशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसके लिए हर संभव प्रयास करेगी।
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सपा मुखिया अखिलेश का दौरा
चौंसठ योगिनी मंदिर देखने के बाद उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को समृद्ध विरासत हस्तांतरित की जानी चाहिए। साहित्य, संस्कृति और परम्पराओं को उनकी संवेदना के साथ देखा जाना चाहिए। चम्बल के बीहड़ों के बीच बना यह मंदिर प्राचीनता और स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है।
लखनऊ में विधान भवन के सामने उत्तर प्रदेश की जनता के हित में कल्याणकारी फैसलों के लिए लोकभवन का निर्माण कराया था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का लोकभवन के वास्तुशिल्प में यह ध्यान रखा गया कि वह प्रदेश के विधान भवन की तर्ज पर हो। इसके पीछे जनता को अविलम्ब न्याय दिलाने की मंशा है लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार ने लोकभवन को अन्याय करने वाले फैसलों का केन्द्र बना दिया है। सपा सरकार में धार्मिक-पौराणिक एवं बौद्धकालीन स्थलों के उन्नयन को विशेष प्राथमिकता दी गई थी।
चौंसठ योगिनी मंदिर के प्रतिकृति है संसद भवन
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से 40 किलोमीटर दूर मितावली पहाड़ी में 300 फीट की ऊंचाई पर स्थापित 64 योगिनी मंदिर को इकोत्तरसो या इकंतेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है। जिसका निर्माण 9वीं सदी में प्रतिहार वंश के राजाओं ने करवाया था।
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मंदिर प्रांगण में पहले सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां थी। एक हजार साल पहले इसकी ख्याति तांत्रिक अनुष्ठान विश्वविद्यालय के रूप में थीं जहां देश-विदेश से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे। दिल्ली स्थित संसद भवन के वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने पार्लियामेंट की डिजाइन चौंसठ योगिनी मंदिर से ही ली थी। संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू होकर 1927 में पूरा हुआ।
अखिलेश तिवारी