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Swami Prasad Maurya: आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है, जानें ऐसा क्यों बोले- स्वामी प्रसाद मौर्या

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या ने ज्ञानवापी प्रकरण और बद्रीनाथ धाम को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होने कहा कि अब आस्था याद आ रही है, क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है।

Jugul Kishor
Published on: 28 July 2023 9:18 AM GMT (Updated on: 28 July 2023 9:21 AM GMT)
Swami Prasad Maurya: आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है, जानें ऐसा क्यों बोले- स्वामी प्रसाद मौर्या
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Swami Prasad Maurya (Socila Media)

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या ने ज्ञानवापी प्रकरण और बद्रीनाथ धाम को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होने कहा कि अब आस्था याद आ रही है, क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है। इसी के साथ मौर्या ने दावा किया कि अगर पुरातत्व विभाग से जांच करवाई जा रही है तो सभी हिंदू मंदिरों की जांच करवाई जानी चाहिए क्योंकि इनमें अधिकतर मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। उन्होने कहा आठवीं शताब्दी का बद्रीनाथ धाम भी बौद्ध मठ था। स्वामी प्रसाद के इस बयान का सभी विरोध कर रहे हैं।

मौर्या का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, बोले- सीएम धामी

स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा बद्रीनाथ मंदिर की टिप्पणी पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बद्रीनाथ धाम दुनिया भर के लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा दिया गया बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि वह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना स्वाभाविक है। जो लोग तुष्टिकरण में विश्वास करते हैं। लेकिन, उनके नाम के आगे स्वामी है। कम से कम उन्हें ऐसा बयान देने से पहले सोचना चाहिए।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा कि आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुँचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है।

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे पहले भी एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर एएसआई सर्वे चल ही रहा है तो सिर्फ ज्ञानवापी का नहीं बल्कि जितने भी हिंदू मंदिर हैं सभी का सभी का सर्वे होना चाहिए। क्योकिं, जितने भी हिंदू धार्मिक स्थल हैं, उनमें से अधिकांश पहले बौद्ध मठ थे, उन्ही को तोड़कर हिन्दू तीर्थ स्थल बनाए गए हैं।

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