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अयोध्या: ढांचा ढहाने के मामले में 26 मई को आरोप तय करेगी विशेष अदालत, कई दिग्गज हैं आरोपी

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर मामले को मेरिट के आधार पर निस्तारण करने के आदेश दिये थे। कोर्ट ने इन अभियुक्तों के खिलाफ ढांचा ढहाये जाने का षडयंत्र रचने के लिए आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी आरोप तय करने की बात कही थी।

zafar
Published on: 25 May 2017 12:16 AM IST
अयोध्या: ढांचा ढहाने के मामले में 26 मई को आरोप तय करेगी विशेष अदालत, कई दिग्गज हैं आरोपी
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लखनऊ: अयोध्या स्थित विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत घटना के 25 साल बाद शुक्रवार 26 मई को आरोप तय करेगी। इस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, सांसद मुरली मनेाहर जोशी, कैबिनेट मंत्री उमा भारती, सांसद विनय कटियार, साध्वी रितम्भरा व विष्णुहरि डालमिया आरोपी हैं।

आरोप होंगे तय

इन अभियुक्तों को पूर्व में डिस्चार्ज कर दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर मामले को मेरिट के आधार पर निस्तारण करने के आदेश दिये थे। कोर्ट ने इन अभियुक्तों के खिलाफ ढांचा ढहाये जाने का षडयंत्र रचने के लिए आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी आरोप तय करने की बात कही थी।

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वहीं विशेज जज सुरेंद्र कुमार यादव इसी प्रकरण से जुड़े दूसरे मामले में अभियुक्तों महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डा. सतीश प्रधान पर गुरूवार को ही आरोप तय करेंगे। बुधवार को विशेष अदालत के सामने हाजिर हुए एक मुल्जिम डा. सतीश प्रधान कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में लिया और बाद में उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली।

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यह है मामला

6 दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थीं। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी।

सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 मुल्जिमों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। जिसमें 13 मुल्जिमों को अदालत ने आरोप के स्तर पर ही डिस्चार्ज कर दिया था। सीबीआई की ओर से इस आदेश को पहले हाईकोर्ट व बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

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इधर, लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव समेत कुल 28 मुल्जिमों के मुकदमे की कार्यवाही शुरु हो गई। हालांकि अब तक इनमें से छह मुल्जिमों की विचारण के दौरान मौत हो चुकी है। जबकि लालकृष्ण आडवाणी समेत आठ मुल्जिमों के मामले की कार्यवाही रायबरेली की विशेष अदालत में चलने लगी। इनमें अशोक सिंघल व गिरिराज किशोर की दौरान विचारण मौत हो चुकी है।

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19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित कर रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को भी लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में स्थानांतरित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरोप के स्तर पर डिस्चार्ज किए गए मुल्जिमों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।

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