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तरुण सागर: 13 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर, पवन कुमार से ऐसे बने जैन मुनि
नई दिल्ली: देश भर में अपने कड़वे वचन के लिए मशहूर और सामाजिक मुद्दों पर मुखरता से अपनी राय रखने वाले तरुण सागर जी महाराज का 51 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में शनिवार सुबह 3:18 बजे अंतिम सांस ली। दरअसल, उन्हें पीलिया हुआ था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के ही एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। newstrack.com आपको तरुण सागर की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।
कौन है तरुण सागर
जैन मुनि तरुण सागर का जन्म 1967 में मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम पवन कुमार जैन था। जैन संत बनने के लिए उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में 8 मार्च 1981 को घर छोड़ दिया था। मुनि तरुण सागर ने 20 साल की उम्र में दिगंबर मुनि दीक्षा ली। कड़वे प्रवचन नाम से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई।
ऐसे बने गए थे जैन मुनि
जैन मुनि तरुण सागर छठी कक्षा में पढ़ाई के दौरान जलेबी खाते-खाते संन्यासी बन गए थे। इस चर्चित वाकये पर तरुण सागर ने बताया था, 'मैं एक दिन स्कूल से घर जा रहा था। बचपन में मुझे जलेबियां बहुत पसंद थीं। स्कूल से वापस लौटते वक्त पास में ही एक होटल पड़ता था, जहां बैठकर मैं जलेबी खा रहा था। पास में आचार्य पुष्पधनसागरजी महाराज का प्रवचन चल रहा था। वह कह रहे थे कि तुम भी भगवान बन सकते हो, यह बात मेरे कानों में पड़ी और मैंने संत परंपरा अपना ली।'
विशाल डडलानी ने कान पकड़कर मांगी थी माफी
हरियाणा के शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा द्वारा तरुण सागर को न्योता दिया गया था। इसके बाद न्योते को स्वीकार कर सागर ने 26 अगस्त 2016 को हरियाणा विधानसभा को संबोधित किया था। अपनी परंपरा के मुताबिक, तरुण सागर इस मौके पर भी बिना कपड़ों के ही थे। इसी पर डडलानी ने लिखा था, 'अगर आपने इन लोगों के लिए वोट दिया है तो आप आप इस बकवास के लिए जिम्मेदार हो। नो अच्छे दिन जस्ट नो कच्छे दिन।'
इस ट्वीट के बाद म्यूजिक कंपोजर विशाल डडलानी को जमकर फजीहत का सामना करना पड़ा। बाद में उन्होंने जैन मुनि तरुण सागर से कान पकड़कर जैन समुदाय की परंपरा पंच माफी के अनुसार भी क्षमा याचना की थी
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