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Special Story: सिर्फ 5 महीने 10 दिन में ही दागदार हुआ योगी का दामन
शारिब जाफरी
उत्तर प्रदेश में क़रीब 5 माह पुरानी योगी सरकार की बदनामी उन्हीं के अफसरों या फिर सांसद और मंत्रियों ने करा रखी है। लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित सीएम के दफ्तर पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के कब्जे से शुरू हुआ बदनामी का यह दौर बदस्तूर जारी है।
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत जैसे मामले तो सिर्फ नज़ीर भर हैं। सरकार की बदनामी कराने पर तुले अफसरों की लापरवाही ने अब कोई कोर कसर छोड़ नहीं रखी है। लोहिया हॉस्पिटल में शव को श्वान के क्षत विक्षत करने और खाने की घटना ने एक बार फिर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
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लोहिया हॉस्पिटल ने लापरवाही की सभी सीमा लांघी
लोहिया हॉस्पिटल में लापरवाही की सभी हदें पार हो गई। खुदकुशी करने वाली महिला की लाश को श्वान ने क्षत विक्षत कर खा डाला। चेहरे की हालत कुछ ऐसी थी जिस ने देखा उसी की रूह काँप गई। लाश की हालत कुछ ऐसे थी की उस का अंदाज़ा बस इसी बात से लगाया जा सकता है, कि जो नर्स डाक्टरों के साथ बड़े-बड़े आपरेशन में मौजूद रही हो वो कैमरे में लाश की हालत देख कर गश खा कर गिर पड़ी।
मंत्री के घर में गंगा बहती है
योगी सरकार में स्वास्थ मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के सरकारी आवास में बारिश का पानी गंगा की शक्ल में अंदर आने लगा। परेशान मंत्री जी ने वीडियो ट्विटर पर पोस्ट कर दिया। जिस के बाद लोगों ने मंत्री जी की खूब खिंचाई की। स्थिति यह हो गई की एक युवक ने बीआरडी मेडिकल कालेज में दिए सिद्धार्थनाथ सिंह के बयान के तर्ज़ ही कमेंट कर दिया कि अगस्त में तो इस तरह मकान में पानी आता ही है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज बना बच्चों की कत्लगाह
बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी की वजह से दर्जनों बच्चों की हुई मौत के चलते योगी आदित्यनाथ सरकार में कटघरे में है। दरअसल 68 लाख का भुगतान नहीं होने की वजह से पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने बीआरडी मेडिकल कालेज को आक्सीजन गैस की सप्लाई बंद कर दी थी।
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इससे पहले पुष्पा सेल्स ने कई बार प्रिंसिपल और डीएम को चिठ्ठी लिख कर भुगतान किये जाने का अनुरोध किया था। लेकिन दोनों ही अफसर कान में तेल डाल कर सोते रहे। जिस के नतीजे में दर्जनों मासूम बच्चों की मौत हो गई। योगी का गृह जनपद होने की वजह से भी इस मामले में सरकार को अच्छी खासी बदनामी झेलनी पड़ी।
सीएम के दफ्तर पर डिप्टी सीएम का क़ब्ज़ा
यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर क़ाबिज़ हुई योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए उन के ही मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के साथ साथ अफसरों ने नाक में दम कर रखा है। सरकार की फजीहत की शुरुआत सब से पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने की। शपथ ग्रहण के बाद केशव प्रसाद मौर्या ने लाल बहादुर शास्त्री भवन यानि एनेक्सी में मुख्यमंत्री के दफ्तर पर क़ब्ज़ा कर लिया।
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हम सीएम के दफ्तर पर कब्ज़ा इस लिए कह रहे क्योंकि केशव मौर्या के इस दफतर में बैठने का कोई आदेश नहीं हुआ था। एनेक्सी में पंचम तल तल के जिस कमरे के बाहर केशव प्रसाद मौर्या ने अपनी नाम पटिका लगा दी थे, वो दरअसल सीएम के नाम पर एलाट था।
इस के बाद हंगामा खड़ा हुआ और केशव प्रसाद मौर्या की नेम प्लेट हटाई गई। यह घटना योगी सरकार की फजीहत का महज आगाज थी। इस घटना के बाद प्रदेश भर में ऐसी कई घटनाएं हुईं जिस की आँच की तपिश दिल्ली तक महसूस की गई।
इनका तो सांसद भी बड़ा बवाली, अफसरों ने दागी आईपीएस कर दिया पोस्ट
सीएम दफ्तर पर कब्जे का विवाद अभी ठंडा ही पड़ा था कि सहारनपुर में 19 अप्रैल को अम्बेडकर शोभा यात्रा निकाले जाने को लेकर विवाद हो गया। सहारनपुर से भाजपा सांसद राघव लखन पाल अम्बेडकर शोभा यात्रा निकाले जाने पर अड़े थे। लेकिन पुलिस ने जुलूस नहीं निकालने दिया जिस के बाद राघव ने अपने समर्थकों के साथ एसएसपी सहारनपुर के घर पर हमला बोल दिया। एसएसपी के घर के साथ कैंप कार्यालय में तोड़फोड़ के बाद आग लगाने की भी कोशिश की गई।
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इस दौरान सांसद समर्थकों ने सीसीटीवी कैमरों के साथ डीवीआर को भी तोड़ डाला ताकि पुलिस के हाथ कोई सबूत न लगे। एक तरफ जहां राघव लखन पाल योगी सरकार की किरकिरी कराने पर तुले थे। तो वही शासन में बैठे अफसरों ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हिंसा के बाद एसएसपी सहारनपुर लव कुमार को एसएसपी नॉएडा बनाया गया तो सुभाष चंद्र दूबे को सहारनपुर ज़िले की कमान सौंप दी गई।
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सुभाष दूबे की कार्यशैली पर पहले से सवाल उठते रहे हैं। 2013 में मुज़फ्फरनगर दंगे के समय भी सुभाष दूबे एसएसपी मुज़फ्फरनगर थे। जिन्हें सरकार ने निलंबित कर दिया था। जस्टिस सहाय कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सुभाष दूबे को दोषी मानते हुए फील्ड में पोस्टिंग नहीं देने की सिफारिश की थी। सहारनपुर में बड़ी हिंसा के बाद योगी सरकार ने सुभाष चन्द्र दूबे के साथ डीएम एनपी सिंह को भी निलंबित कर दिया था।
विधायक ने महिला आईपीएस को सरेराह किया अपमानित
सरकार की बदनामी कराने में गोरखपुर सदर विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल भी पीछे नहीं रहे। राधा मोहन ने एसपी सिटी गोरखपुर (ट्रेनी महिला आईपीएस) चारू निगम को सरेराह फटकार लगाईं।
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जिस के बाद चारू निगम के बीच सड़क पर आंसू निकल आये। विधायक और आईपीएस अफसर के बीच हुआ यह विवाद भी सुर्ख़ियों में रहा जिस से सरकार की मंशा पर ही सवाल उठे लगे।
हद तो तब हुई जब, लकड़ी चमकाने वाले पाउडर को बताया विस्फोटक
उत्तर प्रदेश सरकार की सब से ज़्यादा बदनामी विधान सभा में मिले पावडर को लेकर हुई। अफसरों ने अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में लकड़ी और चमड़े में चमक पैदा करने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान्य पावडर को पीईटीएन जैसा खतरनाक विस्फोटक करार दे दिया।
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अफसरों ने जल्दबाजी में सीएम से विधान सभा में बयान भी दिलवा दिया। अलग अलग लैब की जांच में विधान सभा में मिले पावडर को सामान्य पावडर बताया गया। जिस के चलते योगी आदित्यनाथ सरकार को अच्छी खासी बदनामी झेलनी पडी। सनसनी कुछ ऐसे फैली की मामले की जांच एनआईए के हवाले कर दी गई।
शहीद के घर सीएम के लिए बिछी रेड कार्पेट, लगा एसी
सरकार की बदनामी कराने में अफसरों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कश्मीर में शहीद हुए बीएसएफ के जवान प्रेम सागर के घर देवरिया सीएम योगी आदित्याथ पहुंचे। सीएम के लिए अफसरों ने शहीद जवान के घर के पर्दे बदल डाले नए सोफे का इंतज़ाम कर डाला। रास्ते पर लाल कार्पेट बिछाया गया और कमरे में एसी भी आनन-फानन में फिट कर दिया गया।
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सीएम के वापस जाते ही शहीद जवान के घर से एसी, सोफे, पर्दे और रेड कार्पेट हटा दी गई। अफसरों की अपने नंबर बढ़ाने की इस करतूत ने भी विपक्षियों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दिया।
वीवीआईपी कल्चर ख़त्म करने की कोशिश, सदाकान्त ने लगाया पलीता
अखिलेश राज में कई अहम पदों पर विराजमान रहे सदाकान्त, अचानक योगी राज के सब से प्रिय अफसर बन गए। सत्ताधारियों की निगाह में अपनी छवि और बेहतर बनाने के चक्कर में सदाकान्त ने हाइवे के टोल प्लाजा पर अलग लेन बनाने का फैसला लिया। ताकि माननीयों को सफर में कोई दिक्कत पेश नहीं आए।
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सरकार के इस फैसले की भी खूब फजीहत हुई। बाद में सदाकान्त ने इस आदेश को वापस ले लिया।
मंत्री डीएम से भिड़े और हार भी गए
योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर जिले के डीएम से कुछ इस कदर परेशान हुए की इस्तीफा देने और धरने पर बैठने का अल्टीमेटम देने लगे। जहूराबाद विधान सभा सीट गाजीपुर से चुनाव जीते सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का डीएम संजय कुमार खत्री से विवाद हो गया।
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ओमप्रकाश डीएम को हटाने की मांग पर अड़ गए। और ऐसा नहीं होने पर इस्तीफा देने और धरने देने का अल्टीमेटम दे दिया। बाद में सीएम से मुलाकात के बाद विवाद का निपटारा हुआ, लेकिन डीएम का कुछ नहीं हुआ।
एक मात्र मुस्लिम मंत्री पर लगा वक़्फ़ संपत्ति बेचने का आरोप
योगी आदित्यनाथ सरकार में अकेले मुस्लिम मंत्री मोहसिन रज़ा पर भी वक़्फ़ संपत्ति बेचने का रूप लग रहा है। सफीपुर उन्नाव में कर्बला की जमीन को बेचने का आरोप लगने के बाद मोहसिन रजा को मुतवल्ली के पद से हटा दिया गया है।
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