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भर्ती पर उठे सवाल, स्पोर्ट्स कोटे से हुई नियुक्तियों पर उठे सवाल
देहरादून: उत्तराखंड का 71 फीसदी भू-भाग वनाच्छादित है। इन वनों व वन्यजीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी की पहली और जमीनी कड़ी है फॉरेस्ट गार्ड, लेकिन यह हफ्ता वन विभाग में वन रक्षकों या फॉरेस्ट गार्ड की भर्तियों पर ग्रहण लेकर आया। एक ओर तो वन मंत्री ने बीते महीने निकाली फॉरेस्ट गार्ड भर्ती को निरस्त कर दिया तो दूसरी ओर स्पोर्ट्स कोटे के तहत की गई भर्तियों में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।
भर्ती में फर्जीवाड़ा
एक विशेष अभियान चलाकर स्पोर्ट्स कोटे के तहत फॉरेस्ट गार्ड की भर्तियों में फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस कोटे के तहत भर्ती किए गए फॉरेस्ट गार्ड के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने के बाद देहरादून के डीएफओ ने वन मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी और बर्खास्तगी की संस्तुति की है। दरअसल राज्य में अगले साल आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए वन विभाग ने विशेष अभियान चलाकर खिलाड़ियों को फॉरेस्ट गार्ड पद पर भर्ती किया। राष्ट्रीय खेलों में नंबर वन बनने की हसरत पाले वन विभाग ने इसके लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। स्पोर्ट्स कोटे में देहरादून वन प्रभाग के तहत इन खिलाड़ियों को भर्ती किया गया था। इनकी तैनाती कुमाऊं के हल्द्वानी, तराई केंद्रीय और तराई पूर्वी वन विभाग में की गयी ताकि उन्हें प्रशिक्षण और खेलकूद में भाग लेने का पूरा समय मिले। खानपान से लेकर नौकरी में आराम और सुविधाओं का भी खास ख्याल रखा गया।
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वन मुख्यालय को भेजी गयी रिपोर्ट
स्पोर्ट्स कोटे के तहत खिलाड़ियों की भर्ती के लिए बाकायदा चयन कमेटी बनाने की औपचारिकता भी निभाई गई थी। करीब 22 खिलाड़ियों को भर्ती कर फॉरेस्ट गार्ड बनाया गया था। यह मामला तब खुला जब सूचना के अधिकार के तहत स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती किए गए खिलाड़ियों के शैक्षिक और खेल प्रमाण पत्र मांगे गए। दो खिलाड़ियों के शैक्षिक योग्यता के प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए। डीएफओ देहरादून पीके पात्रों के मुताबिक ऐसे कुछ तथ्य सामने आए थे। इसके बाद दो फॉरेस्ट गार्ड के प्रमाणपत्रों की जांच कराई गई जो फर्जी पाए गए। इनकी भर्ती के संबंध में उन्होंने वन मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी है। साथ ही जरूरी कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया है। फिलहाल इन फॉरेस्ट गार्ड का वेतन रोक दिया गया है। बर्खास्तगी मुख्यालय स्तर पर ही संभव है।
मंत्री ने लगाई रोक
इस हफ्ते फॉरेस्ट गार्ड बनाने की प्रक्रिया को एक और झटका लगा। इस पद पर भर्ती के लिए 3 अगस्त को जारी विज्ञप्ति को वन मंत्री ने निरस्त करते हुए भर्तियों पर रोक लगा दी। दरअसल फॉरेस्ट गार्ड के 1218 पदों पर भर्ती के लिए अधीनस्थ चयन आयोग को जो प्रस्ताव भेजा गया था उसमें भर्ती के लिए फॉरेस्ट गार्ड की उम्र सीमा 24 साल तय की गई थी। वन मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत से जनता दरबार के दौरान कई बेरोजगार मिले और उम्र सीमा और शैक्षिक योग्यता में बदलाव की समस्या बताई जिसकी वजह से वे आवेदन नहीं कर पा रहे थे। रावत ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार सेवा नियमावली में संशोधन करेगी।
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती सेवा नियमावली पिछली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2016 में जारी की थी और भर्ती के लिए अधिकतम उम्र 24 वर्ष और इंटर साइंस या कृषि विषय को अनिवार्य किया गया था। खास बात यह है कि प्रदेश में पुलिस को छोडक़र अन्य विभागों में भर्ती के लिए उम्र की सीमा 42 वर्ष है। शिकायतें मिलने के बाद वन मंत्री रावत ने भर्ती की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट गार्ड का पद ऐसा नहीं है कि इसके लिए इंटर साइंस या कृषि विषय ही चाहिए। उन्होंने उम्र सीमा भी बढ़ाए जाने की बात कही। साथ ही ऐलान किया कि सेवा नियमावली में संशोधन के बाद ही भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
पहले भी उठ चुकी हैं अंगुलियां
प्रमुख वन संरक्षक (एचआरडी) मोनिष मल्लिक के अनुसार मामले में वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती इससे पहले भी सवालों के घेरे में रही है। राजाजी नेशनल पार्क में हुई भर्तियों में भी अधिकारियों की भूमिका पर आरोप लगे। शासन ने 2010 के बाद प्रदेश के सभी वन प्रभागों में फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती की जांच विजिलेंस से कराने का फैसला किया था। इसकी तैयारियां भी की गईं, लेकिन अब वन विभाग इससे अनभिज्ञता जता रहा है। प्रमुख वन संरक्षक राजेंद्र महाजन के मुताबिक विजिलेंस जांच होती तो सभी प्रभागों में फॉरेस्ट गार्ड के प्रमाण पत्र मांगे जाते। फिलहाल अभी तक ऐसी किसी भी जांच के लिए उनसे कोई मांग नहीं की गई है।