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आतंकवाद पर पाक में बरसे राजनाथ सिंह, दिल्ली पहुंच PM से मिले
इस्लामाबादः सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान गए गृहमंत्री राजनाथ सिंह आतंकवाद पर जमकर बरसे। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद का गढ़ इसी क्षेत्र में मौजूद है। राजनाथ सिंह ने ढाका, पठानकोट और काबुल में हुए आतंकी हमलों का भी जिक्र किया। गृहमंत्री ने आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती बताया, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकियों का महिमामंडन नहीं किया जा सकता है। बता दें कि बुरहान वानी को पाक पीएम नवाज शरीफ ने शहीद बताया था।
सम्मेलन के दौरान भारत और पाक के बीच तल्खी साफ नजर आई। बताया जा रहा है कि भारत और पाक के अधिकारियों के बीच बहस भी हुई। गृहमंत्री राजनाथ सिंह आधिकारिक तौर पर आयोजित लंच में भी नहीं शामिल हुए। गृहमंत्री पाकिस्तान से वापस लौटते ही पीएम मोदी से मिले। गृहमंत्री शुक्रवार को संसद में पाक दौरे पर बयान देंगे।
मीडिया कवरेज पर बैन
पाकिस्तान ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के भाषण को टीवी पर दिखाने नहीं दिया। इंडिया के इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों को अंदर जाने से रोक दिया गया। पाकिस्तान की मीडिया ने भी राजनाथ सिंह के भाषण को नहीं दिखाया।
फोटो सौजन्य एएनआई
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नवाज शरीफ ने किया सम्मेलन का आगाज
सार्क का गृहमंत्री सम्मेलन गुरुवार को पाकिस्तान में शुरू हुआ। पाक पीएम नवाज शरीफ ने सम्मेलन को आगाज किया। उन्होंने कहा कि सार्क ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने में सराहनीय कार्य किया है। नवाज शरीफ ने कहा कि आतंकवाद सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए समस्या है और हम इसे जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आतंकवाद को रोकने के लिए हमें एकजुट होकर इस चुनौती को सामना करना होगा।
राजनाथ के विरोध में प्रदर्शन
ज्ञात हो कि राजनाथ सिंह के इस्लामाबाद पहुंचने से पहले ही वहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए थे। प्रदर्शनकारियों ने पाक पीएम के सचिवालय, पीएम हाउस, विदेश मंत्रालय की तरफ जाने वाले हाईवे को जाम कर दिया, जिसके चलते पाक सरकार ने सुरक्षा के कड़े इतंजाम किए है।
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उठ सकता है पाक प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा
गृह मंत्रालय में सूत्रों के अनुसार, राजनाथ पाकिस्तान से कड़े शब्दों में भारत में आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करना बंद करने को कह सकते हैं। उम्मीद है कि राजनाथ पठानकोट हमले की जांच की धीमी रफ्तार और मुंबई हमले के आरोपियों पर मुकदमे के लंबा खिंचने का मुद्दा उठा सकते हैं।