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Captain Anshuman Singh: कहानी कैप्टन अंशुमान सिंह की, मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" से सम्मानित

Captain Anshuman Singh: सियाचिन में सैनिकों को आग से बचाते हुए शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया।

Sidheshwar Nath Pandey
Published on: 6 July 2024 11:28 AM IST (Updated on: 6 July 2024 1:33 PM IST)
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Captain Anshuman Singh (Pic: Newstrack)

Captain Anshuman Singh: हिंदुस्तानी सैनिकों की वीरता देश ही नहीं विदेश में भी चर्चा का विषय है। भारतीय सेना ने एक से एक धुरंधर जाबांज दिए हैं। देश की सुरक्षा में अभूतपूर्व काम करने वाले सैनिकों की सूची बहुत लंबी है। 19 जुलाई 2023 को इस सूची में कैप्टन अंशुमान सिंह का भी नाम जुड़ा। सियाचिन में सैनिकों को आग से बचाते हुए शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मरणोपरांत कीर्ति चक्र प्रदान किया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह सम्मान शहीद की पत्नी सृष्टि सिंह और उनकी मां मंजू सिंह को सौंपा। देश शहीद कैप्टन की वीरता से गौरवान्वित है।


ऐसे बढ़ा सशस्त्र बल के प्रति रुझान

1997 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बरदिहा दलपत गांव में जन्मे कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता की चर्चा आज पूरे देश में है। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना में सूबेदार थे। कैप्टन अंशुमान एक बड़े भाई और बहन के साथ तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल, हिमाचल प्रदेश में स्थित एक आवासीय विद्यालय से करने के दौरान उनका रुझान सशस्त्र बलों की ओर बढ़ा और उनके भावी सैन्य जीवन की नींव पड़ी।


मार्च 2020 में सेना में हुए शामिल

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें चिकित्सा में स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रतिष्ठित एएफएमसी पुणे के लिए चुना गया। सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज, पुणे में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 19 मार्च 2020 भारतीय सेना में शामिल होकर सेवा की यात्रा शुरू की। उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में नियुक्त किया गया था, यह कोर शांति और युद्ध के दौरान भारतीय सेना को चिकित्सा सेवा प्रदान करती है। आर्मी मेडिकल कोर अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, उन्होंने अपने साथी सैनिकों को चिकित्सा देखभाल और सहायता प्रदान करने के नेक काम के लिए खुद को समर्पित कर दिया।


जुलाई 2023 में सियाचिन में तैनाती

जुलाई 2023 के दौरान, कैप्टन अंशुमन सिंह सियाचिन ग्लेशियर में 26 मद्रास से अटैचमेंट पर 26 पंजाब बटालियन के 403 फील्ड अस्पताल में तैनात थे। सर्दियों के महीनों में सियाचिन में सैनिकों के लिए निगरानी करना बहुत कठिन हो जाता है। सैनिकों को 19,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुर्गम इलाके में तैनात रहने में अत्यधिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है। कैप्टन अंशुमान सिंह को यहीं रेजिमेंटल चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात किया गया था। उनपर सभी सैनिकों की चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए जिम्मेदार थी।


19 जुलाई को हुआ हादसा

19 जुलाई 2023। सुबह के करीब तीन बजे। चंदन पोस्ट पर कैप्टन अंशुमन के बंकर के पास गोला-बारूद के भंडार में भयंकर आग लग गई। कैप्टन अंशुमान को अपनी जिम्मेदारी तुरंत याद आई। उन्हें एहसास हुआ कि उनके कई सैनिक अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने की जरूरत है। कैप्टन अंशुमान को आग में कूदने का जोखिम मालूम था। मगर अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना अपने साथी सैनिकों को बचाने के लिए आग में कूद पड़े। खतरनाक आग और खतरे के बावजूद वह बिना डरे प्रभावित क्षेत्र में चले गए। आग से बचे लोगों की तलाश करने और उन्हें सुरक्षित लाने के लिए वह दृढ़ संकल्पित थे। आग से कुल सात सैनिकों को बचाया गया, जिनमें से तीन गंभीर रूप से झुलस गए। फंसे हुए सैनिकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कैप्टन अंशुमान तीन बार जलते हुए एफआरपी शेल्टर के अंदर गए।


चौथी बार आग लगे बंकर में गए और...

लेकिन जब वह चौथी बार अंदर गए तो खुद फंस गए और गंभीर रूप से झुलस गए। वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें एअरलिफ्ट करके अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की। मगर कैप्टन अंशुमान की चोटों पर काबू नहीं पा सके और वह शहीद हो गए। कैप्टन अंशुमान सिंह ने एक बहादुर सैनिक के रूप में आगे बढ़कर नेतृत्व किया और 26 साल की उम्र में देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कैप्टन अंशुमान सिंह को उनके उत्कृष्ट साहस, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत देश का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार, "कीर्ति चक्र" दिया गया।


पांच महीने पहले हुई थी शादी

शहीद होने के पांच महीने पहले ही कैप्टन की शादी हुई थी। 10 फरवरी 2023 को कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी पठान कोट की सृष्टि सिंह से हुई थी। सृष्टि एक कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यकरत हैं। वह नोएडा में रहती हैं। कल राष्ट्रपति ने उन्हें वीर चक्र प्रदान किया। उनकी नम आंखे और चेहरे पर गम ने सभी को कैप्टन अंशुमान की वीरता को याद दिलाया। कैप्टन के पिता रवि प्रताप सिंह, मां मंजू देवी, भाई घनश्याम व बहन तान्या लखनऊ में रहते हैं।



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Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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