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परीक्षा पर चर्चा: बच्चों से बोले पीएम मोदी- नॉलेज के पीछे दौड़िए, मार्क्स दौड़कर आएंगे

लोकसभा की चुनावी परीक्षा में उतरने से पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्र-छात्राओं को परीक्षा के तनाव से बचाव का मंत्र दिया। पीएम ने इस दौरान देश-विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों से सीधी बात भी की। संवाद की शुरुआत पीएम ने पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीज को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए की।

Aditya Mishra
Published on: 29 Jan 2019 9:27 AM IST
परीक्षा पर चर्चा: बच्चों से बोले पीएम मोदी- नॉलेज के पीछे दौड़िए, मार्क्स दौड़कर आएंगे
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नई दिल्ली: लोकसभा की चुनावी परीक्षा में उतरने से पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्र-छात्राओं को परीक्षा के तनाव से बचाव का मंत्र दिया। पीएम ने इस दौरान देश-विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों से सीधी बात भी की। संवाद की शुरुआत पीएम ने पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीज को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए की। मोदी ने यहां कहा कि नॉलेज के पीछे दौड़िए, मार्क्स दौड़कर आएंगे।

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सबसे पहले रोची (कोलकाता) दता ने पूछा कि...

बतौर शिक्षक हमें उन पैरेंटस के बारे में क्या सोचना चाहिए जो कि छात्रों पर प्रेशर बनाते हैं।

रोहित श्री (केरला) हमारे पैरेंटस और टीचर हमसे अपेक्षा रखते है ऐसे में हम उनका सामना कैसे करें।

पीएम ने जबाब देते हुए कहा कि ये एग्जाम जिंदगी के परीक्षा का थोडी है। परीक्षा के गलियारे से ही जिंदगी निकले ऐसा ही कुछ नहीं है उसके बाहर भी बहुत कुछ है। कुछ खिलौने के तूटने से बचपन नहीं मरा करता है। एकात एग्जाम में कुछ इधर उधर हो जाय तो जिंदगी ठहर नहीं जाती है। ठहराव जिंदगी नहीं होती है। मेरी अभिभाकों से एक प्रार्थना है कि कहीं आपने भी बचपन में सोचा ​होगा कि डाक्टर बनेंगे लेकिन लिपिक बन गए।

मधुमिता दिल्ली ने पूछा कि- मेरा बेटा आनलाइन गेम की तरफ ध्यान बढ़ रहा है। ऐसे में हम क्या करें?

उत्तर: ये समस्या भी है समाधान भी है अगर हम चाहे कि हमारे बच्चे टेक्नॉलाजी से दूर रहें तो ये भी गलत है। लेकिन मां बाप कभी इस पर चर्चा करें कि टेक्नालाजी पर मां बाप बचचे से चर्चा करें यहां पर भी बच्चे अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं।

इससे हम धीरे धीरे सिकुड़ते चले जा रहे हैं इससे हमारे जीवन को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। बच्चे खेल के मैदान में नहीं है। ये भी समस्या है। कितने बच्चे हैं जिनका दिन में चार बार मेहनत करने के बाद पसीना आया हो। हंसना खेलना भी ​जीवन का अंग है। गार्जियन टेक्नालाजी के ही सवाल पूछें जैसे साइक्लोन कैसे आते हैं।

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फरीदाबाद से एक छात्र ने पूछा- हमें अपने लक्ष्य को निर्धारित कैसे करना चाहिए। क्या बड़ा या सीमित?

लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हों लेकिन पकड़ में नहीं है। पहले छोटे—छोटे लक्ष्य बनाकर तब बड़े लक्ष्य की तरफ बढ़ना चाहिए। लक्ष्य होना पर्याप्त नहीं है। उसको पाने के लिए पूरा समय देना चाहिए। लक्ष्य आपको भी सामथर्य बनाता है।

अपने काम करने के तरीके को लेकर मोदी ने कहा कि जैसे एक मां पूरे परिवार को अपना मानती है और लगातार काम करती है। वैसे ही मेरे लिए सवा सौ करोड़ देशवासी एक परिवार है और मैं थकान महसूस नहीं करता हूं।

उन्होंने बताया कि रात को सोते समय जाता हूं तो अगले दिन का ध्यान रखता हूं और अगले दिन क्या करना है यह सोचकर जाता हूं। उन्होंने ये भी बताया कि मैं रात में ये नहीं सोचता कि आज क्या किया बल्कि अगले दिन नई ऊर्चा के साथ आता हूं।

रिजल्ट को विजिटिंग कार्ड ना बनाएं: मोदी

पैरेंट्स से आग्रह है कि आपके सपने और अपेक्षाएं भी होनी चाहिए, लेकिन प्रेशर से परिस्थिति बिगड़ जाती है। प्रेशर से रिएक्शन आता है, इसलिए हमें इसका ध्यान रखना चाहिए। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण है। दरअसल वो किसी सामूहिक कार्यक्रम में अपने बच्चे का रिजल्ट विजिटिंग कार्ड बनाकर ले जाते हैं, जो कि गलत है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी का परीक्षा पर चर्चा को लेकर यह कार्यक्रम ऐसे समय होने जा रहा है, जब बोर्ड की परीक्षा होने वाली है। छात्रों में तनाव है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में लगभग दो हजार बच्चों से पीएम सीधे तौर पर रूबरू हो रहे है।

जबकि दूरदर्शन पर इसके सीधे प्रसारण के जरिए पूरे देश में बच्चों से बात कर रहे है। पीएम मोदी इससे पहले छात्रों को परीक्षा के तनाव से निपटने के लिए एक्जाम वारियर्स नाम से एक किताब भी लिख चुके है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस दौरान छात्रों के परीक्षा को तनाव को खत्म करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर बनाई गई एक लघु फिल्म भी दिखाई जाएगी। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक लाख से ज्यादा बच्चों ने आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था।

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Aditya Mishra

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