×

Subrata Roy Sahara: एक चिट्ठी के बाद सुब्रत रॉय के बुरे दिनों की हुई शुरुआत, आखिरकार खानी पड़ी जेल की हवा, जानिए पूरा मामला

Subrata Roy Sahara: दरअसल सुब्रत रॉय को जेल भेजने के पीछे एक चिट्ठी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है जिसने सहारा ग्रुप में की जा रही सारी गड़बड़ियों का खुलासा कर दिया था। रोशन लाल नामक व्यक्ति की ओर से 4 जनवरी 2010 को लिखी गई यह चिट्ठी नेशनल हाउसिंग बैंक को भेजी गई थी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 15 Nov 2023 1:35 PM IST
Subrata Roy
X

सहाराश्री सुब्रत रॉय: Photo- Social Media

Subrata Roy Sahara: सहारा ग्रुप के मुखिया सुब्रत रॉय का मंगलवार को 75 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। काफी दिनों से बीमार चल रहे सुब्रत रॉय को मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। सुब्रत राय ने जिस सहारा ग्रुप की स्थापना की थी, उसे किसी जमाने में देश के दिग्गज कारोबारी घरानों में गिना जाता था। इस ग्रुप ने रियल एस्टेट, फाइनेंशियल सर्विसेज, एयरलाइंस और मीडिया तक में अपना पांव पसार रखा था।

सहारा ग्रुप ने लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट टीम को भी स्पॉन्सर किया था। इसके अलावा आईपीएल में भी सहारा ग्रुप ने एक टीम खरीद रखी थी। सुब्रत रॉय को देश की मशहूर शख्सियतों में गिना जाता था मगर आखिरकार उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिरकार क्या मामला हुआ जिसकी वजह से सुब्रत रॉय को जेल की सीखचों के पीछे जाना पड़ा।

चिट्ठी में किया गया था जांच का अनुरोध

दरअसल सुब्रत रॉय को जेल भेजने के पीछे एक चिट्ठी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है जिसने सहारा ग्रुप में की जा रही सारी गड़बड़ियों का खुलासा कर दिया था। रोशन लाल नामक व्यक्ति की ओर से 4 जनवरी 2010 को लिखी गई यह चिट्ठी नेशनल हाउसिंग बैंक को भेजी गई थी। इस चिट्ठी में रोशन लाल ने खुद को सीए बताते हुए लिखा था कि वह इंदौर में रहते हैं।

उन्होंने नेशनल हाउसिंग बैंक से लखनऊ में सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन की ओर से जारी किए गए बॉन्ड्स की जांच करने का अनुरोध किया था।

इस चिट्ठी में कहा गया था कि काफी संख्या में लोगों ने इन दोनों कंपनियों के बॉन्ड्स खरीदे हैं जबकि इन बॉड्स को जारी करने में नियमों का पालन नहीं किया गया है। उनका कहना था कि इस मामले में गहराई से जांच पड़ताल किए जाने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें: Subrata Roy Success Story: 2000 रुपए की पूंजी, लैंब्रेटा स्कूटर...गोरखपुर से ऐसे शुरू हुआ सुब्रत राय का आसमानी कारोबार

चिट्ठी के बाद सेबी ने कसा शिकंजा

नेशनल हाउसिंग बैंक ने इस मामले को काफी गंभीर मानते हुए मामले की जांच के लिए इस चिट्ठी को सेबी के पास भेज दिया क्योंकि उसके पास इस तरह के मामलों की जांच का कोई अधिकार नहीं था। करीब एक महीने बाद अहमदाबाद के एक एडवोकेसी ग्रुप की ओर से भी सेबी को एक चिट्ठी मिली जिसमें सहारा ग्रुप से जुड़े मामलों की जांच करने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद सेबी ने बड़ा कदम उठाते हुए 24 नवंबर, 2010 को सहारा ग्रुप के किसी भी रूप में पब्लिक से पैसा जुटाने पर पाबंदी लगा दी।

बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और देश की शीर्ष अदालत ने सहारा ग्रुप को आदेश दिया कि निवेशकों का पैसा 15 फ़ीसदी ब्याज के साथ लौटाया जाए। निवेशकों लौटाई जाने वाली रकम का आकलन 24,029 करोड़ रुपये किया गया था।

सहाराश्री सुब्रत रॉय: Photo- Social Media

शीर्ष अदालत ने इस कारण भेज दिया था जेल

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के अपने फैसले में सहारा ग्रुप की कंपनियों को सेबी के कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराया था। कंपनियों की ओर से कहा गया कि उन लाखों भारतीयों से पैसे जुटाए गए, जो बैंकिंग सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते थे। वैसे सहारा ग्रुप की कंपनियां जब निवेशकों का पैसा लौटाने में विफल साबित हुईं तो शीर्ष अदालत ने सुब्रत रॉय को जेल भेजने का आदेश दे दिया था।

उन्हें करीब दो साल जेल में काटने पड़े थे। 6 मई 2017 को पेरोल पर उनकी रिहाई हुई थी। मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उन्हें पेरोल मिला था जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था। मौजूदा समय में वे जमानत पर बाहर थे।

संसद में भी उठा था निवेशकों का मामला

सहारा में निवेशकों के पैसे फंसे होने का मामला संसद में भी उठाया गया था जिसके जवाब में सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 232.85 लाख निवेशकों से 19,400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे।

वैसे इस मामले में सहारा की ओर से कहा गया था कि कंपनी निवेशकों के पैसे वापस करना चाहती है, लेकिन कंपनी की रकम सेबी के पास फंसी है। दूसरी ओर सेबी का कहना था कि वह सहारा के न‍िवेशकों को ब्याज समेत कुल 138.07 करोड़ रुपये ही वापस कर पाया। सेबी का कहना था कि उसके पास इतने ही दावेदार पहुंचे जिनकी रकम लौटा दी गई।

ये भी पढ़ें: Subrata Roy: कौन थे सुब्रत रॉय ? जानें उनकी अर्श से फ़र्श तक की पूरी कहानी

खोजने पर भी नहीं चला रोशन लाल का पता

वैसे जिस रोशन लाल की चिट्ठी पर सहारा समूह के खिलाफ फंदा कसा था, वह कंपनी को खोजने पर भी नहीं मिल सके। सहारा ग्रुप के वकीलों का कहना था कि इंदौर में जनता कॉलोनी स्थित रोशन लाल के पते पर लेटर भेजा गया था मगर वह वापस आ गया।

कई अन्य लोगों ने भी रोशन लाल को खोजकर उनसे बातचीत करने की कोशिश की मगर उनका पता नहीं चल सका। माना जाता है कि किसी कारपोरेट प्रतिद्वंद्वी की ओर से रोशन लाल के नाम से नेशनल हाउसिंग बैंक को चिट्ठी लिखी गई थी जिसके बाद सहारा ग्रुप पर शिकंजा कस गया था।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story