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सक्सेस मन्त्र, लाइफ मंत्र : टेंशन को अटेंशन देना भूल जायेंगे

raghvendra
Published on: 15 Dec 2017 11:02 AM
सक्सेस मन्त्र, लाइफ मंत्र : टेंशन को अटेंशन देना भूल जायेंगे
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नई दिल्ली : हम में से कई लोग ऑफिस से थके-हारे घर पहुंचते हैं, तो सोचते हैं कुछ देर टीवी देख लेंगे तो थकान ख़त्म हो जाएगी। बेशक हमें यह पता है कि जीवनशैली के लिए ऐसी आदतें अच्छी नहीं हैं। फिर भी इसमें बदलाव करने की हम हिम्मत नहीं जुटा पाते। कई शोध हमें यह बता चुके हैं कि लगातार टीवी देखने से मेन्टल हेल्थ प्रभावित होती है। इससे अवसाद की समस्या हो सकती है। अगर जरा सी सावधानी बरती जाये तो तनाव की समस्या ही नहीं रह पाएगी। जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

सोशल मीडिया से रहें दूर : यह आभासी दुनिया भले ही आपको लोगों से जोडक़र रखती है लेकिन आपको तनाव देने का काम भी करती है। कहना गलत न होगा कि आज के दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन को नियंत्रित करने लगा है। आज हर युवा किसी नयी जगह जाता है तो वह वहां एक्स्प्लोर करने की बजाय इस कोशिश में लगा रहता है कि कब कोई पिक्चर क्लिक करें और ऑनलाइन अपलोड कर सकें। अपलोड बाद हर घंटे लाइक्स और कमैंट्स की उम्मीद उसे तनाव में रखने लगा है। इस पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि सोशल मीडिया पर लगातार बने रहने की आदत छोड़ दी जाये। इसके लिए एक समय तय कर लें। सिर्फ उस समय ही चैटिंग और अपडेट्स करें। इसका एडिक्शन बहुत ही बुरा परिणाम लेकर आता है।

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पर्यावरण को बनाएं अपना दोस्त : कहते हैं वो देश कभी गुलाम नहीं हो सकता है जहां प्राकृ तिक संसाधनों का दोहन नाम मात्र का होता हो। आज पूरी दुनिया की प्रमुख समस्याओं में से एक है पर्यावरणीय बदलाव। आपको भी जब मौका लगे पर्यावरण के लिए सोचें। घर में पार्किंग में जहां भी स्पेस मिले पौधे लगाएं। उनकी केयर करें। हो सके तो कार पूलिंग करें, पानी के बजाय सूखी होली खेलें, बिजली की बचत करें, खाना प्रेशर कुकर में कुक करें। हो सकता है आपके इस व्यवहार से पर्यावरण में कोई बड़ा बदलाव भले न दिखे लेकिन यकीन मानिये ऐसा करना आपको संतुष्टि दिलाएगा। आज संसाधन बचत के बारे में कोई विचार नहीं कर रहा है, जबकि संसाधनों की बचत से ही भविष्य सुनहरा बन सकता है।

सोच-समझकर करें शॉपिंग : आजकल तनाव कम करने के लिए ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग, गेमिंग में शामिल हो रहे हैं। इसे इमोशनल थेरेपी का नाम दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि तनाव या अकेलापन महसूस करते हैं तो थोड़ी देर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर विजिट करके मूड फे्रश करते हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपने उस दौरान पैसे खर्च कर दिए तो बाद में सोचकर और ज्यादा तनाव महसूस करेंगे। हमें ऑफर्स में फंसकर ज्यादा खरीदारी से बचना चाहिए। अपनी जरूरत के हिसाब से ही ऑनलाइन खरीदारी करनी चाहिए, जिसे लेकर कोई पछतावा भी न हो।

जुटाएं पूरी जानकारी : बाजार में एक्टिविटी ट्रैकर और फिटनेस गैजेट्स की बाढ़ सी आ गई है। फिटनेस फ्रीक युवाओं के लिए ये काफी उपयोगी भी साबित हो रहे हैं, पर जरूरत से ज्यादा जानकारी फायदेमंद साबित होने के बजाय तनाव का कारण भी बन सकती है। ब्रांडेड ट्रैकर्स सटीक तो होते हैं और वे आपको फिटनेस लक्ष्यों तक पहुंचाने में मददगार भी होते हैं, पर कभी-कभी आधी-अधूरी जानकारी आपको मुश्किल में भी डाल देती है. खुद पर कोई भी प्रयोग करने से बचें और चिकित्सीय सलाह लें। तनाव कम करने के लिए ध्यान करें।

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डिजिटल लाइफ से बनाएं दूरी : ऑनलाइन कनेक्टेड हर कोई रहना चाहता है। लोगों को अगर फ्री वाई-फाई मिल जाये तो उससे अच्छी जगह कोई और हो ही नहीं सकती। ऐसी स्थिति में मोबाइल की बैटरी अगर लो हो जाए तो ज्यादातर लोग तनाव में आ जाते हैं। स्मार्टफोन ने पर्सनल लाइफ में सेंधमारी कर दी है। हर कोई हर चीज़ से अपडेट रहना चाहता है। लोग ज्यादा से ज्यादा दूसरे लोगों के बारे में जानने को उत्सुक रहते है। जितना संभव हो मोबाइल से दूरी बनाएं और स्वस्थ रहे।

छुट्टियों पर जाएं : जब भी ऑफिस से छुट्टी मिले दो-चार दिन के लिए वैकेशन की प्लानिंग करें। इससे रूटीन से ब्रेक मिलने के अलावा तरोताजा महसूस होता है. ऐसा नहीं कि खूब पैसा खर्च करके ही कहीं घूमने जाएं, कभी-कभी आस-पास की जगहों पर भी घूमने जाया सकता है. लक्जऱी लाइफ से इतर कभी ट्रैन से सफर करें नार्मल रुके, कदम-कदम पर ड्राइव बुक करने की बजाय थोड़ी देर पैदल चलें, नए शहर को महसूस करें। फिर देखिएगा यह यात्रा आपको कैसे न याद रह जायेगी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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