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मिट्टी के मोल बिकने वाली लकड़ियों से 20 हजार महिलाओं को रोजगार, टर्नओवर 5 करोड़

Aditya Mishra
Published on: 29 Sept 2018 2:18 PM IST
मिट्टी के मोल बिकने वाली लकड़ियों से 20 हजार महिलाओं को रोजगार, टर्नओवर 5 करोड़
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रायपुर: कहते है कि जीवन में कोई भी काम असंभव नहीं होता है। अगर मन में कुछ करने का जज्बा है तो आप मिटटी को भी तपाकर सोना बना सकते है। ये खबर उन लोगों के लिए है जो जीवन से हार मानकर निराश बैठे है। आज हम आपको छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे बरतोरी गांव की ऐसी महिलाओं के बारे में बता रहे है। जो कभी दो वक्त की रोटी को मोहताज थीं लेकिन आज वह अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपना बल्कि अपने पूरे परिवार का खर्च उठा रही है।

उन्हें राह दिखाने का काम गांव की ही चमेली ध्रुव नाम की एक महिला ने किया है। उसने अपने अनोखे आइडिया से करीब 20 हजार महिला मजदूरों को रोजगार दिलाया है। आज उस महिला के बिजनेस का सालाना टर्नओवर करीब पांच करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

मजदूर महिलाओं को सिखाएं सफलता के गुर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे गांव बरतोरी की मजदूर महिलाओं के हाथों को जब काम नहीं होता था, गृहस्थी चलाने के लिए वे आम के पेड़ की टहनियां तोड़कर रायपुर के गोल बाजार की हवन सामग्रियों की दुकानों पर एक रुपये किलो की दर से बेच आती थीं। इस बीच चमेली ध्रुव ने सभी को जंगल ले जाकर नवग्रह की लकड़ियों की पहचान कराई और बताया कि इन्हें बेचकर काफी रुपया कमाया जा सकता है।

ऐसे शुरू हुआ बिजनेस

सलाह दी कि बड़ी सफलता के लिए समूह बनाकर काम करना होगा। फिर क्या था। बारह महिलाओं के नवज्योति स्वसहायता समूह की नींव पड़ी। उन्होंने नवग्रह की लकड़ियों की कीमत तय की। आम की जो लकड़ियां पहले एक रुपए किलो में बेचती थीं, उसे पांच रुपये किलो कर दिया। वहीं नवग्रह की 250 ग्राम लकड़ियों का रेट 20 रुपये।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने मदद को बढ़ाए हाथ

इनकी कर्मठता देख उन्हें राष्ट्रीय आजीविका मिशन मदद को आगे आया और आज वे समूह की महिलाओं को बाजार उपलब्ध करा रहे हैं। इनकी ही तर्ज पर जिले के आठ हजार 954 स्वसहायता समूह से जुड़ीं एक लाख 79 हजार 80 महिलाओं में करीब 20 हजार मजदूर महिलाएं नवग्रह की लकड़ी के व्यवसाय में जुड़ गईं हैं।

5 करोड़ तक पहुंचा सलाना टर्नओवर

चमेली की एक छोटी सी शुरुआत और दिखाई गई राह की बदौलत आज समूह की महिलाओं की तरफ से संग्रहित नवग्रह की लकड़ियों का सालाना कारोबार करीब पांच करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ ही नहीं, ओडिशा और आंध्र प्रदेश तक इसकी काफी मांग है।

समूह की राजेश्वरी ध्रुव, लीला, भारती सेन, सतरूपा, कृतिका, निर्मला, सोसिल साहू, दुलारी वर्मा, चमेली साहू, फूलकंवर सोन व सोनवती साहू के मार्गदर्शन में आज जिले की हजारों महिलाओं ने नवग्रह की लकड़ियों की बदौलत जिंदगी को आसान बना लिया है।

समूह की सतरूपा व कृतिका ने बताया कि जब से नवग्रह की लकड़ियों का रोजगार अपनाया है, हालात बदल गए हैं। बच्चों को अच्छे से पढ़ा-लिखा पा रही हैं। कोई जरूरी काम आ जाए तो कर्ज के लिए साहूकारों के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता।

नवग्रह की लकड़ियों में ये शामिल

आम, फुडहर, बरगद, पीपल, बेर, बेल, चिरचिटा, डूमर और खैर। नवग्रह शांति व पूजापाठ के निमित्त किए जाने वाले हवन में इनका ही उपयोग किया जाता है।

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Aditya Mishra

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