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एक्जाम टिप्स : सावधान! जीवन नहीं सिर्फ तैयारियों की है ये परीक्षा
नई दिल्ली: हम जीवन में सफल होते हैं या नहीं कोई एक परीक्षा यानी एक्जाम से पता नहीं चल सकता है। हमारी सफलता या विफलता कोई परीक्षा तय नहीं कर सकती है। यह तो हमारा नजरिया तय करता है। परीक्षा एक ऐसा समय है, जो हमें अच्छा करने को प्रेरित करता है और बताता है कि हमारे प्रदर्शन में कहां सुधार की जरूरत है। इसलिए इस अवसर पर हमेशा परेशान होने की जगह शांति के साथ सही फैसला लेने की जरूरत होती है।
एक परीक्षा ही पूर्ण नहीं : कोई भी एक परीक्षा हमारी क्षमता का पूर्ण या सही आकलन कभी नहीं कर सकती है, लेकिन यही वह रास्ता है जो हमें जिंदगी की आने वाले चुनौतियों के लिए मजबूत बनाता है। हम सब जिंदगी में किसी न किसी तरह की परीक्षा देते रहते हैं, फिर चाहे वह शैक्षिक हो या प्रोफेशनल। इन सबमें एक बात समान है कि ये सब हमें बेहतर करने को प्रेरित करती हैं और आत्मविश्वास देती हैं। लेकिन यदि यही समय हमारे लिए तनाव का रूप ले ले तो मुश्किल हो सकती है। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जो हमें इस समय के लिए अच्छे से तैयार कर सकती हैं-
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परीक्षा जीवन की नहीं तैयारियों की : जब भी परीक्षा के बारे में विचार आता है तो ऐसा लगता है कि यह हमारी परीक्षा है लेकिन ऐसा नहीं है। इसको खुद से न जोड़ें। हमें लगता है कि अगर इसमें अच्छा नहीं कर पाए तो लगता है हममें कुछ कमी है, हमारी क्षमताएं कम हैं या हम फेल हो गए आदि। इस तरह हम स्वयं अपने आपको कमजोर या बोझ मानने लगते हैं। यहां पर हमें एक बहुत बड़ी गलतफहमी को दूर करना होगा कि कोई भी परीक्षा जिंदगी की परीक्षा से बड़ी नहीं हो सकती है। जिंदगी की परीक्षा में हम सिर्फ सीखते हैं। इसलिए परेशान होने की कोई बात ही नहीं है।
व्यायाम आदि जरूर करें : अक्सर देखा जाता है कि परीक्षा के समय या इसके पहले से ही कुछ युवा शारीरिक व्यायाम या अपने एक्सरसाइज आदि का काम रोक देते हैं। उन्हें लगता कि थोड़ा और समय पढ़ लिया जाए लेकिन शारीरिक गतिशीलता उतनी ही जरूरी है, जितनी परीक्षा की तैयारी। परीक्षा के दबाव को कम करने के लिए कम से कम 30 मिनट रोजाना सुबह या शाम घूमने जाएं। इस आदत को निरंतर बनाए रखना है। रोजाना घूमने की आदत के साथ-साथ गहरे सांस लेने की तकनीक भी अपनाएं। नाक से लंबा गहरा सांस लें और लगभग छह सेकंड के बाद दूसरा सांस लें। यह अभ्यास प्रतिदिन करें और धीरे-धीरे हम इसको करने में सहज हो जाएंगे। यह तरीका तनाव को कम कर देता है।
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हंसी मजाक भी जरूरी : परीक्षा शुरू होते ही स्टूडेंट के साथ माता-पिता भी सीरियस हो जाते हैं। एग्जाम टाइम में हम हंसी-मजाक करना भूल जाते हैं। इससे आपकी और आपके बच्चे की एनर्जी लॉस होती है। आपके लिए रोज 30 मिनट हंसी-मजाक करना जरूरी है। परिवार के साथ समय बिताकर, दोस्तों के साथ हंसी-मजाक करके, पसंदीदा कॉमेडी सीरियल देखकर खुद को रिफ्रेश रख सकते हैं। यह सेहत और परीक्षा दोनों के लिए जरूरी है।
नया न पढ़े और प्रैक्टिस करें : परीक्षा के लिए खुद को तैयार करने का श्रेष्ठ तरीका यह है कि आप अधिक समय अपने प्रैक्टिस पर दें। सालभर की तैयारियों के साथ-साथ परीक्षा का अभ्यास भी ठीक उसी तरह के वातावरण व समय के अनुसार करेंगे तो हमारा मस्तिष्क इसका अभ्यस्त हो जाएगा। यह ठीक उसी तरह है कि कोई भी धावक मुख्य मुकाबले में दौडऩे से पहले उसका बहुत बार अभ्यास करता है। वास्तविक अभ्यास के साथ ही उसका अहसास यानी कल्पना करना भी जरूरी है कि आप वह परीक्षा दे रहे हैं और वह होने से पहले ही उसे होते हुए महसूस करना है। इसके लिए शांत व आराम की मुद्रा में बैठकर आंखें बंदकर उस समय की कल्पना करनी है। जब आप परीक्षा दे रहे हैं तो आपको महसूस करना कि आप अपना बेस्ट कर रहे हैं।
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हमेशा पॉजेटिव रहें : मारे बड़े बुजुर्गों के साथ कई दार्शनिकों का भी कहना है कि हमेशा पॉजेटिव रहना चाहिए। स्वयं से सकारात्मक बातचीत करना एक ऐसा तरीका है, जो जिंदगी के मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी हमें सहज बनाए रखता है और ऐसा करने से किसी भी समस्या का सामना करने व उसका समाधान खोजने की क्षमता बढ़ जाती है। नकारात्मक लोगों के प्रभाव से बचना है तो हमें रोज कुछ समय खुद से सकारात्मक बातचीत के लिए निकालना होगा। इससे काफी फायदा होगा। आपका काम अच्छे से हो जाएगा।