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ऐसी होती हैं असली स्मार्ट सिटी, जानें कुछ खास बातें

Anoop Ojha
Published on: 17 Nov 2018 2:41 PM IST
ऐसी होती हैं असली स्मार्ट सिटी, जानें कुछ खास बातें
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मैड्रिड: भारत में स्मार्ट सिटी बनाने पर काफी जोर है। केंद्र सरकार इस मुहिम में काफी पैसा खर्च कर रही है। स्मार्ट सिटी के नाम पर तरह-तरह के काम किए जा रहे हैं। लेकिन हमारी स्मार्ट सिटी का मतलब हाईटेक नहीं है। हां, कुछ एक सरकारी सेवाएं ऑनलाइन हो जाना जरूर स्मार्ट सिटी के तहत गिना जा सकता है।

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स्पेन का सांटांडेयर एक बेहतरीन उदाहरण

अगर असली स्मार्ट सिटी की बात करें तो स्पेन के अटलांटिक तट पर बसा पुराना शहर सांटांडेयर एक बेहतरीन उदाहरण कहा जा सकता है। सांटाडेयर विश्व के छोटे हाईटेक शहरों की एक मिसाल है। मात्र 1 लाख 80 हजार की आबादी वाला ये एक खूबसूरत और शांत तटीय शहर है। इस शहर में बहुत ज्यादा सैलानी नहीं आते लेकिन हाल में माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और जापान सरकार के प्रतिनिधि यहां पहुंचे तो लोगों को बड़ी हैरत हुई।

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12 हजार सेंसर जो सडक़ के नीचे दबे हैं

ये प्रतिनिधि सांटांडेयर की उन खूबियों को देखने आए थे जो दिखाई नहीं पड़तीं। ये खूबियां हैं 12 हजार सेंसर जो सडक़ के नीचे दबे हैं या स्ट्रीट लाइट और सिटी बसों के ऊपर लगे हैं। ये सेंसर ये देखते हैं कि पार्किंग की जगह है या नहीं, कहां पर कूड़े के डम्प भर गए हैं। जब सडक़ों भीड़ नहीं होती तो सेंसर स्ट्रीट लाइट को भी हल्का कर देते हैं। पार्किंग की बात करें तो जैसे ही कार मैग्नेटिक सेंसर के ऊपर पार्क होती है सेंसर को यह पता चलता है, वह इसकी जानकारी डाटाबेस को देता है, जिसके बाद यह डिजिटल पैनल पर दिखाई देता है।

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सेंसरों का प्रयोग यूरोप के चार शहरों में

इन सेंसरों को लगाने पर 90 लाख यूरो (70 करोड़ रुपए) का खर्च आया। ये रकम यूरोपीय संघ ने अनुदान के रूप में दी। वायरलेस रूटर जैसा दिखने वाला एक एंटीना सेंसर से मिलने वाली जानकारी इकट्ठा करता है और उसे कमांड और कंट्रोल सेंटर भेज देता है। डीडब्लू के अनुसार सेंसरों का प्रयोग यूरोप के चार शहरों में किया जा रहा है। तीन शहर ब्रिटेन, जर्मनी और सर्बिया में हैं।

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स्थानीय नागरिक भी तस्वीर लेकर उसे महापालिका को भेज सकते हैं

सांटांडेयर इतना छोटा शहर है कि सेंसरों का पूरा इस्तेमाल हो सके, इसकी वजह से इस तकनीक को यूरोप में फैलाने के लिए यह मुख्य परीक्षण केंद्र बन गया है। सेंसर द्वारा कमांड और कंट्रोल सेंटर को भेजी गई सूचना लोगों के स्मार्ट फोन पर भी उपलब्ध होती है। इसमें सडक़ों को बंद किए जाने, पार्किंग के होने, बसों में देरी के अलावा मौसम संबंधी जानकारी भी होती है। स्थानीय नागरिक भी टूटी हुई सडक़, लैंपपोस्ट या नाले की तस्वीर लेकर उसे महापालिका को भेज सकते हैं। उसके लिए भी एक ऐप है। शहर इस तरह धन भी बचा रहा है।

स्विट्जरलैंड का बाजल शहर इंटरनेट से जुड़ा हुआ है

ऐसा ही एक शहर है स्विट्जरलैंड का बाजल। पूरा शहर इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, जगह जगह सेंसर लगे हैं। इन सेंसरों से शहर की व्यवस्था और उसके बारे में लोगों की समझ बेहतर बनाने में मदद मिलती है। सरकारों की भी इस तरह की तकनीक में काफी रुचि है और स्थानीय प्रशासन इन्हें अपनाने में बढ़ चढ़ कर सामने आ रहा है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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