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मीठी चीनी की कड़वी लड़ाई, भारत, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में तनातनी
नई दिल्ली। चीनी की लड़ाई में ब्राजील और भारत आमने सामने आ गए हैं। ब्राजील ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भारत के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं। ब्राजील का आरोप है कि भारत अपने चीनी उद्योग को जो रियायतें दे रहा है, वे डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करती हैं। ब्राजील और भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक हैं।
ब्राजील ने शिकायत में कहा है, 'हाल के बरसों में, भारत ने अपनी समर्थन नीति के तहत घरेलू स्तर पर गन्ने और चीनी उद्योग को दी जा रही सहायता में भारी इजाफा किया है।Ó भारत की चीनी मिलों को अनिवार्य रूप से निर्यात कोटा भी रखना पड़ता है। ब्राजील का आरोप है कि सब्सिडी के चलते भारत की चीनी काफी सस्ती पड़ रही है और निर्यात कोटे की वजह से सस्ती भारतीय चीनी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में तरजीह मिल रही है। ब्राजील के मुताबिक भारत की चीनी मिलें वैश्विक कीमतों पर दबाव डाल रही हैं।
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स्विट्जरलैंड के शहर जेनेवा में डब्ल्यूटीओ ने यह भी कहा कि भारत के खिलाफ ऐसी ही शिकायत ऑस्ट्रेलिया ने भी दर्ज कराई है। ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत अपने घरेलू बाजार को डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित सीमा से भी ज्यादा रियायत दे रहा है। डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक कोई भी देश अपनी वार्षिक प्रोडक्शन वैल्यू का 10 फीसदी हिस्सा ही सब्सिडी के रूप में दे सकता है। शिकायतों में यह भी कहा गया है कि भारत निर्यात में भी सब्सिडी दे रहा है. यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के विरुद्ध है। ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया को अब भारत के साथ बातचीत कर इस विवाद को सुलझाने के लिए 60 दिन मिले हैं। अगर विवाद बातचीत से नहीं सुलझा तो डब्ल्यूटीओ हल खोजने के लिए अपनी प्रक्रिया शुरू करेगा।
आस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम ने कहा है कि भारत जिस तरह से अपने गन्ना उत्पादकों को सब्सिडी दे रहा है उससे आस्ट्रेलिया और ब्राजील के गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कई प्रतिवेदनों के बावजूद भारत ने कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए हैं। साइमन बर्मिंघम ने कहा कि पिछले साल भारत के गन्ना किसानों को करीब एक बिलियन डालर की अतिरिक्त नई सब्सिडी दी गई। आशंका है कि यूरोपीय कमीशन भी भारत के खिलाफ शिकायत कर सकता है।
माना जा रहा है कि भारत ब्राजील को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बनने जा रहा है। सब्सिडी के कारण विश्व में चीनी के दाम १० साल के न्यूनतम स्तर पर आ गए हैं। भारत द्वारा इस वर्ष ३० मिलियन टन से ज्यादा चीनी का उत्पादन किए जाने की संभावना है जो पिछले वर्ष की तुलना में १० मिलियन टन ज्यादा है।