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Ashok Stambh: सुनील देवड़े जिन्होंने बनाया नए संसद भवन पर अशोक स्तम्भ, जानिए उनके बारे में सब कुछ

Ashok Stambh: सुनील का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से प्रतिमा में बदलाव करने संबंधी किसी भी तरह का आदेश नहीं मिला था। हमने किसी के कहने पर कोई बदलाव नहीं किया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 July 2022 9:23 AM GMT
Sunil Deode who built Ashoka Pillar on the new Parliament House, know everything about him
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सुनील देवड़े जिन्होंने बनाया नए संसद भवन पर अशोक स्तम्भ: Photo - Social Media

New Delhi: नए संसद भवन (new parliament building) की छत पर मौजूद विशालकाय भारत का प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ (Ashoka Stambh) के अनावरण के बाद से विवाद जारी है। विपक्ष सरकार पर देश के प्रतीक चिन्ह से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा रहा है तो वहीं सरकार ऐसे किसी आरोप को खारिज कर रही है। इन सबके बीच 21 फुट ऊंची ये प्रतिमा लोगों को काफी आकर्षित भी कर रही है। लोग इसकी भव्यता और खूबसूरती की काफी तारीफ कर रहे हैं। साथ ही इसे बनाने वाले मूर्तिकार (sculptor) के बारे में भी काफी सर्च किया जा रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि इतनी खूबसूरत प्रतिमा देश को देने वाले मूर्तिकार कौन है। तो जानकारी के लिए आपको बता दें कि इसे औरंगाबाद के सुनील देवड़े (Sunil Deode) और जयपुर के लक्ष्मण ने डिजाइन किया है।

कौन हैं सुनील देवड़े (Who is Sunil Deode)

49 वर्षीय मूर्तिकार प्रसिद्ध जेजे स्कूल ऑफ ऑर्ट्स (JJ School of Arts) से गोल्ड मेडलिस्ट हैं। दिलचस्प बात ये है कि उनके पिता भी इसी कॉलेज से पढ़े हैं। सुनील ने राष्ट्रीय चिह्न की प्रतिमा बनाने के अलावा अजंता एलोरा विजिटर सेंटर में अंजता एलोरा गुफाओं की रेप्लिकाएं भी बनाई हैं जिनका मुल्य 125 करोड़ बताया जाता है। इन रेप्लिकाओं को बनाने के पीछे का मकसद मूल अजंता एलोरा गुफाओं पर से दवाब कम करना था।

पीएम मोदी के साथ सुनील देवड़े: Photo - Social Media

इस प्रोजक्ट के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं सुनील

सुनील देवड़े कहते हैं कि वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें इस प्रोजेक्ट में काम करने का अवसर दिया गया। पूरे देश में केवल उन्हें इसके लिए चुना गया। अशोक स्तंभ बनाने के पीछे की कहानी बयां करते हुए सुनील देवड़े कहते हैं कि इसे बनाने के लिए हमें टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड का साथ मिला। टाटा प्रोजेक्ट्स ने इस बाबत बीते साल एक सर्वे किया था। सर्वे के आधार पर उन्होंने मेरे अनुभवों को देखते हुए मेरा सेलेक्शन किया।

उन्हें इस प्रतिमा का क्ले बनाने में 5 साल लगे थे। पूरी प्रतिमा 9 महीने में 100 श्रमिकों की मदद से तैयार की गई थी। उन्होंने बताया कि यह प्रतीक उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य से बनाया गया है और यह भारतीय कामगारों द्वारा पूर्णतय: हस्तनिर्मित है। इस प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर है और इसे सहारा देने वाले ढांचे समेत इसका वजन 16 हजार किलोग्राम (9500 किलोग्राम का प्रतीक और 6500 किलोग्राम का ढ़ांचा) है।

राष्ट्रीय प्रतीक (National symbol) का अनावरण करते पीएम मोदी: Photo - Social Media

अशोक स्तंभ विवाद पर क्यों बोले सुनील

राष्ट्रीय प्रतीक (National symbol) के अनावरण के बाद से ही विपक्ष ने केंद्र सरकार (Central government) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार ने देश के प्रतीक चिन्ह के साथ छेड़छाड़ की है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय चिन्ह में जो शेर हैं वो शांत हैं और उनका मुंह बंद है जबकि नए संसद भवन में लगे स्तंभ में शेर आक्रमक है और उसका मुंह खुला हुआ है। इस विवाद पर अशोक स्तंभ को बनाने वाले सुनील देवड़े ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए अपनी बात रखी है।

सुनील का कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से प्रतिमा में बदलाव करने संबंधी किसी भी तरह का आदेश नहीं मिला था। हमने किसी के कहने पर कोई बदलाव नहीं किया है। नए संसद भवन के छत पर लगी अशोक स्तंभ की प्रतिमा सारनाथ में मौजूद अशोक स्तंभ की ही कॉपी है।

Shashi kant gautam

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