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नॉर्थ ईस्ट में बढ़े बीजेपी के प्रभाव के पीछे इस शख्स का हाथ
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी आगे बढ़ती दिखाई दे रही है है। बीजेपी ने 2013 चुनाव के मुकाबले शानदार परफॉर्मेंस दिया है। पिछले चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं हासिल कर पाई थी। वहीं इस बार पार्टी बहुमत के करीब जा पहुंची।
नई दिल्ली: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी आगे बढ़ती दिखाई दे रही है है। बीजेपी ने 2013 चुनाव के मुकाबले शानदार परफॉर्मेंस दिया है। पिछले चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं हासिल कर पाई थी। वहीं इस बार पार्टी बहुमत के करीब जा पहुंची।
बताया जा रहा है कि नॉर्थ ईस्ट में बढ़े बीजेपी के प्रभाव के पीछे सुनील देवधर शख्स का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया। जिन्होंने नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के लिए नई उम्मीद जगाई है। वाम सरकार को चुनौती देने का सेहरा भी बीजेपी सुनील देवधर के सिर ही बांधती है।
कहा जाता है कि देवधर के पास पहले वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी। यहां चुनावों में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी मिली।
विधानसभा के चुनावों से ठीक पहले कई दलों के नेता और विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। कहा तो यह भी जाता हैं कि त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में सेंध मारने का काम भी उन्होंने ही किया है।
बता दें कि देवधर हैं तो मराठी, लेकिन फर्राटेदार बंगाली भी बोलते हैं। वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। उन्हें बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी दी थी। यहां रहते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाएं सीखी।
बताया जाता है कि जब वो मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से मिलते हैं तो उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। यही नहीं, उन्होंने ही 'मोदी लाओ' की जगह 'सीपीएम हटाओ', 'माणिक हटाओ' जैसे नारे चुनाव में लाए।