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बाबाओं की करतूतों से बेफिक्र, कंबल बाबा की शरण में मंत्री

tiwarishalini
Published on: 22 Sep 2017 11:30 AM GMT
बाबाओं की करतूतों से बेफिक्र, कंबल बाबा की शरण में मंत्री
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राम शिरोमणि शुक्ल की रिपोर्ट

रायपुर: गुरमीत सिंह उर्फ बाबा राम रहीम जैसे ढोंगियों पर कार्रवाइयों के बाद पूरे देश में बाबाओं की करतूतों के खिलाफ एक माहौल बन रहा है। ऐसे समय में किसी मंत्री का किसी बाबा की शरण में जाना और किसी मंत्री द्वारा बाबाओं का बचाव किए जाने से पता चलता है कि अंधविश्वास को कौन बढ़ावा दे रहा है।

छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा शुगर का इलाज कराने कंबल बाबा के पास पहुंच गए, तो यह सवाल और ज्यादा प्रासंगिक हो गया। इसी छत्तीसगढ़ में बीते माह राज्य के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में आक्सीजन आपूर्ति बाधित होने से तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इसी राज्य में सूपेबेड़ा है, जहां दूषित पानी से फैली किडनी की बीमारी से बीते 10 वर्षों में करीब सवा सौ लोगों की मौत हो चुकी है।

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राज्य में कुछ महीने पहले सरकार की ओर से झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। अब मंत्री खुद अस्पताल न जाकर बाबा से इलाज कराने जाएंगे, तो सवाल उठाए ही जाएंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा दोनों ही भाजपा से हैं और दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और किसी से जवाब तलब तक नहीं किया गया है।

कंबल ओढ़ा कर इलाज

गृह मंत्री पैकरा बलरामपुर जिले में जनसंपर्क यात्रा पर निकले थे। मंत्री के ही अनुसार, यात्रा के दौरान उन्हें कंबल बाबा के बारे में पता चला। बताया गया कि ये बाबा मरीजों को कंबल ओढ़ाकर कानों में फूंक दें, तो बड़ी-बड़ी बीमारी छूमंतर हो जाती है। इसमें इतना जरूर करना होता है कि मरीज को पांच बार बाबा के पास जाना पड़ेगा।

शुगर या कोई भी बीमारी ऐसी नहीं होती जो कान में फूंक मार देने से खत्म हो जाएगी। इतनी जानकारी किसी को भी होती है। कम से कम यह माना जाना चाहिए कि कोई मंत्री किसी बाबा की शरण में जाने से बचेगा। लेकिन पैकरा ने सुनी-सुनाई बातों को ही मान लिया और अस्पताल जाने के बजाय बाबा की शरण में चले गए।

यह जानकारी सार्वजनिक होते ही आलोचनाएं शुरू हो गईं। इसके बाद भी मंत्री गलती मानने की बजाये अपने किए का बचाव करने लगे। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान एक जगह करीब 5000 लोग एकत्र दिखे। मैं भी देखने चला गया। वहां देखा कि चल-फिर पाने में अक्षम लकवाग्रस्त दिव्यांग भी मालिश कर दिए जाने से चल दिया। मुझे कुछ चमत्कार लगा। मुझे भी शुगर है, तो मैं भी चला गया।

बात यहीं खत्म नहीं हुई। होना यह चाहिए था कि पार्टी और सरकार के स्तर पर मंत्री के इस तरह के कृत्य के लिए सचेत किया जाता या जवाब तलब किया जाता। ऐसा नहीं किया गया और एक अन्य मंत्री गृहमंत्री पैकरा का बचाव करने उतर आए। श्रम मंत्री भैयालाल राजवाड़े थोड़ा और आगे निकल गए।

राजवाड़े ने कह दिया कि पैकरा शुगर का इलाज कराने कंबल वाले बाबा के पास गए थे। आसाराम या राम रहीम जैसे बाबाओं के पास नहीं गए थे। वैसे भी उनकी अपनी मर्जी है। जहां चाहें इलाज करा सकते हैं। तंत्र-मंत्र व झाड़-फूंक भी करा सकते हैं। यह उनका निजी मामला है। सवाल है कि क्या अंधविश्वास फैलाना निजी मामला हो सकता है।

विधायक पर ‘देवी’ आयीं

इसी वर्ष अप्रैल में अंतागढ़ से भाजपा विधायक भोजराज नाग भी झाड़-फूंक को लेकर चर्चा में आए थे और उन्होंने भी अंधविश्वास का बचाव किया था। ऐसा दावा किया गया कि स्थानीय बडग़ांव मेले में उन्हें देवी आ गई। इसके बाद उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। भोजराज नाग बस्तर विकास प्रधिकरण के उपाध्यक्ष भी हैं। वह झाड़-फूंक को बुरा नहीं मानते। उनका कहना होता है कि मैं बैगा हूं।

झाड़-फूंक मनुष्य को मिली आंतरिक दैवीय शक्ति है। इसे जागृत कर दुआओं के साथ बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। कई ऐसी बिमारियां होती हैं, जिनका आधुनिक डॉक्टरों के पास भी इलाज नहीं हो पाता है। ऐसे मरीज को लेकर ग्रामीण हमारे पास आते हैं। हम अपने अंदर समाई आंतरिक शक्ति से उसका इलाज कर देते हैं। यह न कुरीति है और न अंधविश्वास।

किसी काम को करने से पहले दैवी शक्ति की पूजा करते हैं। फिर उस शक्ति से लोगों की भलाई की प्रार्थना करते हैं, जो पूरी होती है। ऐसी साधना से किसी का भला होता है, तो उसमें कैसी बुराई या कैसी कुरीति? हम जैसे बैगा बस्तर ही नहीं छत्तीसगढ़ के हर गांव मे मिल जाएंगे। ये लोगों की बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज करते हैं। डाक्टर और स्वास्थ्य विभाग अपना काम करता है।

दफ्तर में तंत्र-मंत्र

इसी तरह का वाकया दिसंबर 2016 में राज्य के महासमुंद जिले में सामने आया था। तब खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पीके शर्मा का अपने दफ्तर में तांत्रिक क्रिया कराते हुए वीडियो सोशल मिडिया में वायरल हुआ था। इसमें एक कथित तांत्रिक उनके माथे पर काला टीका लगा, हाथों में लिखकर मंत्र पढ़ता दिख रहा था। उसने गले बंधी हड्डी निकालकर घुमाने के बाद बीईओ के सिर पर हाथ रखा, तो वे हाथ जोडक़र कुछ संकल्प लेते दिख रहे थे।

हालांकि वीडियो में दोनों की बातें साफ सुनाई नहीं दे रही थीं। इस बारे में बीईओ तब कहना था कि वीडियो की जांच से सब सामने आ जाएगा। इस विडियो को संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी ने गंभीरता से लिया था। उन्होंने जिला शिक्षाधिकारी के एस तोमर को तलब कर मामले की जांच करने और कथित अंधविश्वासी बीईओ के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।

बच्चों की झाड़-फूंक

बेमेतरा जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर सारंगपुर में शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल में पढऩे वाले छह छात्र-छात्राओं की तबीयत बिगडऩे पर अभिभावकों और ग्रामीणों ने झाड़-फूंक के लिए बैगा बुला दिया। बैगा ने स्कूल में ही बच्चों के साथ ऐसे तरीके अपनाने शुरू कर दिए, जिसको देखकर लोग सहम गए। वह कभी बच्चों का गला दबाकर पूछता कि बता कौन हंसा, तो कभी बाल खींचता।

आंख में राख भरता, कान में तीर जैसी नुकीली चीज डालता रहा। भूत उतारने का अजाबो-गरीब खेल घंटेभर तक चलता रहा। तबीयत नहीं सुधरने पर छात्र-छात्राओं को एम्बुलेंस से जिला अस्पताल ले जाया गया। स्कूल के प्रभारी प्रधान पाठक खरे ने बताया था कि बीमार बच्चों का झाड़-फूंक पालकों ने कराया था।

स्कूल तक पहुंचा अंधविश्वास गांव तक पहुंचने में देर नहीं लगी। कवर्धा जिले के बोड़ला ब्लाक के ग्राम बोदा के प्राइमरी व मिडिल स्कूल में फरवरी 2017 में दो दिनों से छात्राएं बेहोश हो रही थीं। इन्हें लेकर तरह-तरह की चर्चाएं थीं। आश्चर्य की बात ये है कि इन छात्राओं के डॉक्टरी इलाज के साथ-साथ तंत्र-मंत्र और झाडफ़ूंक की क्रियाएं भी की जा रही थीं, वह भी डाक्टरों और शिक्षकों के सामने।

पहले दिन जब 13 छात्राएं बेहोश हुईं तो डॉक्टर इलाज करते रहे और उन्हीं के सामने परिवारवाले झाडफ़ूंक करते रहे। दूसरे दिन नौ छात्राएं बेहोश हुईं, तो दो तांत्रिकों को परिजन बुलवा लाए और स्कूल में ही झाडफ़ूंक शुरू कर दिया। जानकारी होने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल में हेल्थ कैंप लगाया गया।

कांग्रेस ने की आलोचना

भाजपाई मंत्री के कंबल वाले बाबा की शरण में जाने को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने तीखी आलोचना की और ऐसे कृत्य को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला करार दिया। उन्होंने कहा कि पैकरा उस सरकार में मंत्री हैं जिसने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की थी।

अब पैकरा झाड़-फूंक करने वाले बाबा से इलाज कराकर और तारीफ कर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। जब मंत्री ऐसे बाबाओं के पास जाएंगे, तो जनता का स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास उठ जाएगा। सरकार का काम लोगों को अंधविश्वास से निकालकर ज्ञान-विज्ञान में विश्वास जगाना है। ऐसे बाबा और मंत्री के खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए।

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