×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

LIC IPO: सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकारी एलआईसी IPO से संबंधित याचिका, पॉलिसीधारकों ने की थी दायर

LIC IPO: गुरुवार के लिए सूचीबद्ध मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एलआईसी आईपीओ और सरकारी शेयर जारी करने के खिलाफ की इस याचिका को मंजूर कर लिया है।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Vidushi Mishra
Published on: 12 May 2022 2:07 PM IST
LIC IPO
X

LIC IPO (फोटो-सोशल मीडिया)

LIC IPO: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आईपीओ (Initial Public Offering) से संबंधित दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया है। गुरुवार को याचिका को स्वीकार करने को लेकर हुई सुनवाई पर बीते दिन मीडिया से बात करते हुए एनजीओ पीपल फर्स्ट के संयुक्त संयोजक थॉमस फ्रेंको राजेंद्र देव ने बताया कि यह याचिका एलआईसी(LIC) के पॉलिसीधारकों द्वारा दायर की गई थी। इजे याचिका के माध्यम से याचिकर्ताओं की मूल मांग एलआईसी के आईपीओ और शेयर जारी करने पर रोक लगाने की है।

गुरुवार के लिए सूचीबद्ध मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) और सरकारी शेयर जारी करने के खिलाफ की इस याचिका को मंजूर कर लिया है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 की धारा 5 को शून्य और निष्क्रिय घोषित करने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

याचिका को बताया इसका कारण

याचिकाकर्ता ने सर्वप्रथम मामले में मद्रास हाई कोर्ट का रूख किया था, हालांकि पूर्व में मामले के मद्देनज़र दायर सभी याचिकाएं रद्द हो गयी थी लेकिन अंततः सुप्रीम कोर्ट ने इससे सम्बंधित याचिका स्वीकार कर ली है।

आपको बता दें कि याचिका को स्वीकार करने की सुनवाई के दौरान न्यायालय (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता से इस सम्बंध में सवाल भी किया कि यह याचिका ऐसे समय में क्यों दायर की गई है जब एलआईसी के आईपीओ हेतु अप्लाई करने की अवधि समाप्त हो गई है और अब महज शेयर का सूचीबद्ध होना शेष है। इस सवाल के जवाब में याचिकाकर्ता ने भी अन्य उच्च अदालतों से अबतक रद्द होती आ रही याचिका को इसका कारण बताया।

एलआईसी के सरकारी शेयर और आईपीओ के खिलाफ याचिका दायर करते हुए याचिकाकर्ता की मांग है कि एलआईसी के आईपीओ पर रोक लगाई जाए तथा साथ ही याचिका के माध्यम से वित्त अधिनियम की धारा 130,134,131 और 140 तथा LIC अधिनियम धारा 24, 28, 4 और 5 को निष्क्रिय घोषित किया जाए। इन धाराओं पर ध्यानपूर्वक चर्चा और दलील सुनने के बाद न्यायलय ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story