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Teesta Setalvad Case: तीस्ता सीतलवाड़ को 'सुप्रीम' राहत, गुजरात HC के आदेश पर 7 दिन की रोक...'मैं आदेश समझने में विफल'

Teesta Setalvad Case: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट ने नियमित जमानत से मना किया। साथ ही तुरंत सरेंडर करने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच कर रही है।

Aman Kumar Singh
Published on: 1 July 2023 10:05 PM IST (Updated on: 1 July 2023 11:01 PM IST)
Teesta Setalvad Case: तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम राहत, गुजरात HC के आदेश पर 7 दिन की रोक...मैं आदेश समझने में विफल
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तीस्ता सीतलवाड़ (Social Media)

Teesta Setalvad Supreme Court: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के लिए शनिवार (01 जुलाई) का दिन भारी रहा, लेकिन रात राहत भरी रही। सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने सीतलवाड़ मामले की सुनवाई के बाद गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने तीस्ता को अंतरिम सुरक्षा दी। शीर्ष अदालत ने तीस्ता को अंतरिम सुरक्षा दी। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर 7 दिनों के लिए रोक लगाई है।

इससे पहले, गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat HC on Teesta Setalvad) ने गुजरात दंगे से जुड़े झूठे सबूत देने मामले में तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत खारिज कर दी थी। साथ ही, उन्हें जल्द से जल्द सरेंडर करने को कहा। हाई कोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। शीर्ष अदालत की दो जजों की बेंच ने तीस्ता मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा। जिस पर रात 9:15 बजे सुनवाई शुरू हुई।

बड़ी बेंच में कौन जज शामिल?

जस्टिस अभय ओका (Justice Abhay Oka) और जस्टिस प्रशांत मिश्रा (Justice Prashant Mishra) की बेंच विशेष रूप से इस सुनवाई के लिए बैठी। तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने को लेकर दोनों जजों की अलग-अलग राय थी। जस्टिस ओका सीतलवाड़ को राहत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस मिश्रा ने असहमति जाहिर की। फिर मामले को 3 जजों की बड़ी बेंच के सामने भेज दिया गया। अदालत की ओर से कहा गया कि, जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने रात 09:15 बजे सुनवाई शुरू की। बेंच में शेष दो जज जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) हैं।

SC ने कहा- हाईकोर्ट के आदेश को समझने में विफल हूं

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) से कहा कि, 'आप बार-बार एक ही बात कर रहे हैं। जस्टिस गवई ने उनसे कहा, अगर किसी शख्स को सितंबर से जमानत मिली हुई है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए 7 दिन का वक़्त भी क्यों नहीं दिया गया? हाईकोर्ट की तरफ से जो आदेश दिया गया है, वो समझने में मैं विफल हूं।'

मेरी मुवक्किल ने शर्तों का उल्लंघन नहीं किया'

तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील सीयू सिंह (Advocate CU Singh) ने अदालत को बताया कि, 'उनकी मुवक्किल को पिछले साल 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। उन्होंने आगे कहा कि, सीतलवाड़ ने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है।'

...तो क्या आसमान गिर जाएगा?

तीस्ता मामले पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने पाया कि सीतलवाड़ 10 महीने से जमानत पर थीं। अदालत ने तीस्ता सीतलवाड़ को हिरासत में लेने की तात्कालिकता के बारे में सवाल किये। कोर्ट ने कहा, 'अगर अंतरिम संरक्षण (interim protection) दिया गया तो क्या आसमान गिर जाएगा? हाई कोर्ट ने जो किया उससे हमें आश्चर्य हुआ। इतनी चिंताजनक तात्कालिकता क्या है?'

तुषार मेहता- संगीन केस को सहजता से पेश किया गया

एसजी तुषार मेहता ने दलील में कहा, 'इस मामले को जिस सहज तरीके से पेश किया गया है, ये उससे कहीं ज्यादा संगीन है। मेहता ने आगे कहा, SIT (2002 गोधरा दंगा मामले पर) सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई थी। जिसने समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल की। गवाहों ने भी SIT को बताया कि, तीस्ता सीतलवाड़ ने उन्हें बयान दिया था और उनका फोकस एक विशेष पहलू की ओर था। जो गलत पाया गया। उन्होंने कहा कि, सीतलवाड़ ने झूठे हलफनामे दायर किए।'

याचिका पर सुनवाई के दौरान क्या कहा SC ने?

तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जजों ने इस बात पर सवाल उठाया कि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें (तीस्ता को) अंतरिम जमानत दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने अब नियमित जमानत से मना कर दिया। साथ ही, शनिवार को आदेश दे दिया कि तुरंत सरेंडर कर दें। सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी पूछा कि, क्या अंतरिम जमानत की शर्त का उल्लंघन हुआ है? जजों ने कहा कि बेहतर हो कि सोमवार को सुनवाई कर ली जाए और तब तक तीस्ता पर कोई कार्रवाई न हो।



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Aman Kumar Singh

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