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Sri Krishna Janmabhoomi विवाद के मुकदमों का ब्योरा न मिलने पर SC नाराज, HC के रजिस्ट्रार को दिया पेश होने का आदेश
SC on Sri Krishna Janmabhoomi Case: सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को पेश होने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने इससे जुड़े सभी मुकदमे अपने पास ट्रांसफर कर लिए हैं।
Sri Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े मुकदमों का ब्योरा अभी तक न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत के दो जजों की खंडपीठ ने मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाने का आदेश दिया है। साथ ही, बेंच ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भी अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर, 2023 को होगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद (Sri Krishna Janmabhoomi case, SC on Sri Krishna Janmabhoomi Case, Allahabad High Court, Shri Krishna Janmabhoomi Dispute, Mathura Krishna Janmabhoomi case, Mathura news, supreme court news, श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद) से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास ट्रांसफर कर लिए हैं। मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। उसका कहना है कि सुनवाई मथुरा की अदालत में ही होनी चाहिए।
इलाहाबाद HC से मुकदमों का मांगा ब्योरा
आपको बता दें, कि 21 जुलाई,2023 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) की अध्यक्षता वाली बेंच ने ईदगाह कमेटी (Idgah Committee) की याचिका को सुनते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट से तीन हफ्ते में ट्रांसफर किए गए मुकदमों का ब्योरा देने को कहा था।
6 हफ्ते बाद भी HC से नहीं मिला जवाब
सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को ये टिप्पणी भी की थी कि, मामले के महत्व को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई ठीक ही है। मगर, करीब 6 हफ्ते का वक़्त बीत जाने के बाद भी अब तक हाई कोर्ट से जवाब न आने पर जज असंतुष्ट नजर आए।
ईदगाह कमेटी- बाहरी लोग दायर कर रहे याचिकाएं'
इतना ही नहीं, सुनवाई के दौरान ईदगाह कमेटी (Idgah Committee) की वकील ने दावा किया कि, मथुरा में स्थानीय लोग अब तक जारी व्यवस्था से संतुष्ट हैं, लेकिन बाहर के लोग एक के बाद एक कई याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत के जजों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।