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हिन्दू नास्तिक पर नहीं कोई कानून, मुस्लिम पर शरीयत क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से माँगा जवाब

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से मुस्लिम नास्तिक पर शरीयत कानून लागू होने वाली बात पर जवाब माँगा है।

Sonali kesarwani
Published on: 24 Oct 2024 3:38 PM IST
Supreme Court
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Supreme Court (social media ) 

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में एक नास्तिक मुस्लिम परिवार की तरफ से यचिका दायर हुई है। याचिका दाखिल करने वाली साफिया और उसके पिता हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि उसका परिवार नास्तिक है, लेकिन शरीयत के प्रावधान के चलते पिता चाह कर भी उसे अपनी 1 तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे सकते हैं। बाकी संपत्ति पर भविष्य में पिता के भाइयों के परिवार का कब्जा हो जाने की आशंका है।

दरअसल यह मामला ऐसा है कि मुस्लिम परिवार में जन्म लेने की वजह से इस परिवार पर शरीयत कानून लागू होता है भले ही पूरा परिवार नास्तिक क्यों न हो। इस मामले में याचिकाकर्ता का भाई डाउन सिंड्रोम नाम की बीमारी के चलते असहाय है। और साफिया उसकी देखभाल करती है। शरीयत कानून में बेटी को बेटे से आधी संपत्ति मिलती है। ऐसे में पिता बेटी को 1 तिहाई संपत्ति दे सकते हैं और बाकी 2 तिहाई उन्हें बेटे को देनी होगी। क्योकि बीटा पूरी तरह ठीक नहीं है इसीलिए वो चाह कर भी अपनी पूरी संपत्ति बेटी को नहीं दे सकते। और शरीयत कानून के मुताबिक अगर भविष्य में पिता और भाई की मृत्यु हो जाएगी तो भाई के हिस्से वाली संपत्ति पर पिता के भाइयों के परिवार का दावा बन जाएगा। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।

चीफ जस्टिस ने सरकार से माँगा जवाब

पूरे मामले को जानकर पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि हिंदू परिवार में जन्म लेकर हिंदू धर्म के अनुसार न चलने वाले पर तो सामान्य धर्मनिरपेक्ष कानून लागू होते हैं, लेकिन मुस्लिम परिवार में जन्म लेकर इस्लाम को न मानने वालों को शरीयत कानून के अनुसार ही चलना पड़ता है। इस पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है। अब आज यानी गुरुवार को हुई सुनवाई में एडिशनल सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर जवाब दाखिल करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने पर विचार चल रहा है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह कब तक आएगा या आएगा भी या नहीं।

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा

पिछले बार हुई सुनवाई में वकील ने कहा था कि हमारा संविधान धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार देता है और साथ ही अनुच्छेद 25 यह भी अधिकार देता है कि कोई चाहे तो नास्तिक हो सकता है। इसके बावजूद सिर्फ किसी विशेष मजहब को मानने वाले परिवार में जन्म लेने के चलते उसे उस मजहब का पर्सनल लॉ मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। वकील ने यह भी कहा था कि अगर याचिकाकर्ता और उसके पिता लिखित में यह कह देंगे कि वह मुस्लिम नहीं है, तब भी शरीयत के मुताबिक उनकी संपत्ति पर उनके रिश्तेदारों का दावा बन जाएगा।

इसके अलावा याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि शरीयत एक्ट की धारा 3 में प्रावधान है कि मुस्लिम व्यक्ति को यह घोषणा करता है कि वह शरीयत के मुताबिक उत्तराधिकार के नियमों का पालन करेगा। लेकिन जो ऐसा नहीं करता, उसे भारतीय उत्तराधिकार कानून का लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि उत्तराधिकार कानून की धारा 58 में यह प्रावधान है कि यह मुसलमानों पर लागू नहीं हो सकता।



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Content Writer

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