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इनकम टैक्स की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की पत्नी, पुत्र से मांगा जवाब

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद नलिनी और कार्ति को नोटिस जारी किए। पीठ ने स्पष्ट किया वह नलिनी और कार्ति के खिलाफ आपराधिक अभियोजन की कार्यवाही निरस्त करने के उच्च न्यायालय के नवंबर 2018 के आदेश पर रोक नहीं लगाएगी।

SK Gautam
Published on: 16 April 2019 6:08 PM IST
इनकम टैक्स की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की पत्नी, पुत्र से मांगा जवाब
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आय कर विभाग की एक अपील पर मंगलवार को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी और बेटे कार्ति को नोटिस जारी किया। आयकर विभाग ने नलिनी चिदंबरम और कार्ति के खिलाफ कथित कालाधन से संबंधित मामले में आपराधिक अभियोजन की कार्यवाही निरस्त करने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद नलिनी और कार्ति को नोटिस जारी किए। पीठ ने स्पष्ट किया वह नलिनी और कार्ति के खिलाफ आपराधिक अभियोजन की कार्यवाही निरस्त करने के उच्च न्यायालय के नवंबर 2018 के आदेश पर रोक नहीं लगाएगी।

यह मामला चिदंबरम की पत्नी नलिनी, पुत्र कार्ति और पुत्रवधु श्रीनिधि द्वारा विदेशों में संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी नहीं देने से संबंधित है।

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आयकर विभाग के अनुसार, इन तीनों ने ही ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में संयुक्त स्वामित्व वाली 5.37 करोड़ रूपए की संपत्ति की जानकारी अपनी आयकर विवरणी में नहीं दी थी जो काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कानून के तहत अपराध है।

मद्रास उच्च न्यायालय ने गत वर्ष दो नवंबर को आयकर विभाग की आपराधिक अभियोजन की कार्यवाही निरस्त करते हुये कहा था कि इसमें कोई मामला नहीं बनता है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के परिवार के सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की कार्यवाही की वैधानिकता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

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आयकर विभाग का आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने ब्रिटेन में मेट्रो बैंक के साथ अपने विदेशी बैंक खाते और अमेरिका में नैनो होल्डिंग्स एलएलसी में किये गये निवेशों की जानकारी का खुलासा नहीं किया था।

इसी तरह, आयकर विभाग द्वारा पिछले साल मई में विशेष अदालत में दायर शिकायत में कार्ति पर उनके सह स्वामित्व वाली कंपनी चेस ग्लोबल एडवाइजरी में किये गये निवेश की जानकारी नहीं देने का भी आरोप है। विभाग का कहना है कि यह काला धन कानून के तहत अपराध है।

(भाषा)



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