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Safe & Legal Abortion: महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अविवाहित महिलाएं भी कानूनी गर्भपात की हकदार

Safe & Legal Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने देश की महिलाओं की हक में आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाहित की तरह अविवाहित महिलाएं भी सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 29 Sep 2022 7:12 AM GMT
Supreme Courts big decision regarding women, unmarried women are also entitled to legal abortion
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला अविवाहित महिलाएं भी कानूनी गर्भपात की हकदार: Photo- Social Media

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने देश की महिलाओं की हक में आज एक और बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि विवाहित की तरह अविवाहित महिलाएं भी सुरक्षित और कानूनी गर्भपात (legal abortion) की हकदार हैं। कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी) में संशोधन करते हुए ये बातें कहीं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की बेंच ने कहा कि एक अविवाहित महिला को अनचाहे गर्भ का शिकार होने देना एमटीपी एक्ट के उद्देश्य और भावना के विपरीत होगा।

अदालत ने कहा कि 2021 के संशोधन के बाद मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी) की धारा–3 में पति के बजाय पार्टनर शब्द का प्रयोग किया गया है। ये दर्शाता है कि अधिनियम देश की सभी महिलाओं की बात करता है। ये विवाहित और अविवाहित के बीच अंतर नहीं करता। इसलिए विवाहित महिलाओं की तरह अविवाहित भी सेफ और लीगल अबॉर्शन की हकदार है। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है।

महिलाओं को 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की इजाजत

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक अविवाहित महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (एमटीपी) 2003, के नियम - 3 बी को चुनौती दी थी। ये नियम केवल विवाहित महिलाओं को 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की इजाजत देता है। इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि वह अविवाहित महिला है। अदालत ने इस फैसले के दौरान एम्स के निदेशक को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने के लिए कहा जो यह देखेगा कि गर्भपात से महिला का जीवन तो नहीं खतरे में पड़ जाएगा।

मणिपुर अविवाहित महिला का मामला

बता दें कि 16 जुलाई को मणिपुर की रहने वाली एक अविवाहित महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की थी। लेकिन उच्च न्यायलय ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था। महिला ने अदालत में दलील दी थी कि वह बच्चे को जन्म नहीं दे सकती क्योंकि वह एक अविवाहित महिला है और उसके साथी ने उससे विवाह करने से मना कर दिया है।

Shashi kant gautam

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