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बोफोर्स सौदा : याचिकाकर्ता ने कहा, CJI दीपक मिश्रा ना करें केस की सुनवाई
नई दिल्ली : बोफोर्स सौदा घोटाला मामले की फिर से जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अजय अग्रवाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता और अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने अपनी याचिका में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के केस से हट जाने की बात कही है। बोफोर्स केस 2 फरवरी के लिए सूचीबद्ध है।
अग्रवाल ने कहा कि 16 जनवरी 2018 को जिस तरह से उन्होंने मामले में कपिल सिब्बल को हस्तक्षेप की इजाजत दी, वो इस केस को लेकर उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दायर याचिका पर दो फरवरी को सुनवाई करेगी।
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सिब्बल भी केस से हटें
अग्रवाल अग्रवाल ने कहा है कि न्यायपालिका पर आम जनता का विश्वास बना रहे, इसके लिए ये जरूरी है कि चीफ जस्टिस इस मामले से खुद को अलग कर लें। अग्रवाल ने इस मामले से कपिल सिब्बल को भी अलग हो जाने को कहा है।
उन्होंने कहा कि पिछली सुनवाई पर सिब्बल ने कोर्ट में कहा था कि ये एक पुराना केस है, और इसे खारिज किया जाए।
आपको बताते चलें कि बोफार्स तोपों की खरीद में यह आरोप था कि 155 एमएम तोपों की 150 करोड़ डॉलर की खरीद में शामिल भारतीय बिचौलिये और अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत दी थी।
अग्रवाल ने अटॉर्नी जनरल से कहा, सीबीआई को रुख जाहिर करने को कहें बोफोर्स तोप सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अजय अग्रवाल मंगलवार अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को खत लिखकर कहा है कि वो सीबीआई को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने का कहें क्योंकि शीर्ष अदालत में महत्वपूर्ण सुनवाई में दो फरवरी को सुनवाई होनी है। अग्रवाल ने अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि ऐसा लगता है कि उनके मामले में जवाब दाखिल नहीं करने का फैसला निचले स्तर पर लिया गया है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय में बोफोर्स मामला ठहर नहीं सके।
बोफोर्स मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दी है अग्रवाल ने याचिका अजय अग्रवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 मई, 2005 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट मेंअदालत में चुनौती दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिन्दुजा बंधुओं-श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाशचंद और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सारे आरोप निरस्त कर दिए थे।
अग्रवाल की अपील पर हो रही सुनवाई में 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब सीबीआई ने कोई अपील दायर नहीं की तो एक व्यक्ति इस मामले में अपील कैसे दायर कर सकता है। इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने सीबीआई को अपील नहीं दायर करने की सलाह दी थी। वेणुगोपाल की राय थी कि जांच एजेंसी को शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं करनी चाहिए। क्योंकि 12 साल बीच चुके हैं और अब कोई भी याचिका दायर होने की स्थिति में उसके विलंब के आधार पर खारिज होने की संभावना ज्यादा है।