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Supreme Court: किशोरियों को सेक्स की इच्छा काबू में रखने की सलाह का HC का फैसला रद्द, SC ने दुष्कर्म के आरोपी को दोषी करार दिया

Supreme Court: जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की बेंच ने यह फैसला लिया है। पिछले साल विवाद बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 20 Aug 2024 11:54 AM IST (Updated on: 20 Aug 2024 12:07 PM IST)
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Supreme court (Pic: Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने किशोरियों को सेक्स की इच्छा पर काबू रखने की सलाह देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट की ओर से किशोरियों को दी गई इस सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी और मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को फिर से दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था जबकि इससे पहले निचली अदालत ने उसे दोषी करार दिया था।

पीड़िता से बातचीत के लिए समिति का गठन

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक और उज्जवल भुइयां की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी की दोष सिद्धि को भी बहाल कर दिया है। इस मामले में एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि दोषी अपराध के बाद नाबालिग के साथ रहने लगा था और दोनों का एक बच्चा भी है।

इस संबंध में पीड़िता से बातचीत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का भी गठन किया है। यह समिति पीड़िता से बातचीत करेगी और यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि वह आरोपी के साथ रहना चाहती है या नहीं। पीड़िता से बातचीत के बाद का समिति पश्चिम बंगाल सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद सजा पर फैसला लिया जाएगा।

आरोपी को फिर दोषी करार दिया

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस ओक ने कहा कि हमने धारा 376 के तहत दोष बहाल कर दिया है। हमने राज्यों को निर्देश जारी कर दिए हैं और कमेटी सजा पर फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को जेजे बोर्ड को भेजा जाना चाहिए। इसके साथ ही सभी राज्यों को जेजे एक्ट की धारा 19(6) को लागू करने का निर्देश भी दिया गया है। विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया है।

हाईकोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति

कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में पिछले साल फैसला सुनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को हाईकोर्ट की आपत्तिजनक और गैर जरूरी टिप्पणी करार दिया था। हाईकोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और रिट याचिका के रूप में इस पर सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसला लिखते समय न्यायाधीशों को उपदेश नहीं देना चाहिए। उनसे इस बात की उम्मीद नहीं की जाती।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले साल 18 अक्टूबर को अपने आदेश में किशोरियों को यौन इच्छाओं पर काबू रखने की सलाह दी थी। हाईकोर्ट का कहना था कि जब वे दो मिनट के सुख के लिए ऐसा करती हैं तो समाज की नजरों में लूजर साबित होती हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को बरी भी कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरोपी पर एक बार फिर फंदा कस गया है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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