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CJI टी एस ठाकुर ने कहा- मैं किस धर्म से हूं, इससे किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आर एफ नरीमन की पारसी धर्म पर लिखी गई किताब 'दि इनर फायर, फेथ, चॉइस एंड मॉडर्न-डे लिविंग इन जोरोऐस्ट्रीअनिजम' का विमोचन किया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आर एफ नरीमन की पारसी धर्म पर लिखी गई किताब 'दि इनर फायर, फेथ, चॉइस एंड मॉडर्न-डे लिविंग इन जोरोऐस्ट्रीअनिजम' का विमोचन किया। इस मौके पर चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मेरा धर्म क्या है ? मैं ईश्वर से खुद को कैसे जोड़ता हूं ? ईश्वर से मेरा कैसा रिश्ता है ? इन चीजों से किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
और क्या कहा चीफ जस्टिस ने ?
-जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मनुष्य और ईश्वर का संबंध बहुत ही व्यक्तिगत होता है।
-इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
-उन्होंने समाज में शांति के लिए सहिष्णुता पर बल दिया।
-जस्टिस ठाकुर ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से इस दुनिया में ज्यादा तबाही, नुकसान और खून-खराबे हुए हैं।
-ज्यादा इंसानों ने एक-दूसरे की हत्या की है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि उनकी राह उसके रास्ते से ज्यादा अच्छी है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक काफिर है, क्योंकि उन्होंने सोचा कि वह एक नास्तिक है।
-आप अपने ईश्वर के साथ अपना रिश्ता चुन सकते हैं ।
-जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मेरा मानना है कि भाईचारा, सहनशीलता का संदेश और यह स्वीकार करना कि सभी रास्ते एक ही मंजिल और एक ही ईश्वर की तरफ जाते हैं, से विश्व में शांति और समृद्धि आएगी।
-इस लिहाज से देखें तो रोहिंटन ने बड़ी सेवा की है।