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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, समलैंगिग विवाह और धारा 370...CJI चंद्रचूड़ के 10 बड़े फैसले, आज कार्यकाल का आखिरी दिन
CJI DY Chandrachud: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जातें है।
CJI DY Chandrachud: ऐतिहासिक फैसलों के लिए पहचाने जाने वाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के वर्किंग डे का आज आखिरी दिन हैं। 10 नवंबर को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने पद से रिटायर हो जायेंगे। आज अपने वर्किंग डे के आखिरी दिन भी चीफ जस्टिस ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर बड़ा फैसला दिया है। आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान बना रहेगा। इस फैसले के साथ आज कोर्ट ने 1967 के फैसले को ख़ारिज कर दिया।
आज चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने 4:3 से फैसला सुनाया है। आज कोर्ट ने कहा है कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की एक समिति गठित की गई है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ऐतिहसिक फैसले के अलावा डीवाई चंद्रचूड़ ने कई बड़े फैसले सुनाये हैं। जानें कौन-कौन से है-
समलैंगिक विवाह पर की थी महत्वपूर्ण सुनवाई
भारत में भी समलैंगिक विवाह की मांग उठती रही है। इस अहम मामले की सुनवाई भी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की थी। उनकी बेंच ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने से इनकार करते हुए कहा था कि इस पर फैसला हम संसद पर छोड़ते हैं। यदि भविष्य में समाज को लगता है कि ऐसा करना जरूरी है तो वह फैसला लेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला समलैंगिक विवाह के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
राम मंदिर निर्माण के फैसले में थे शामिल
राम मंदिर जैसे बेहद विवादित मुद्दे पर 2019 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला सुनाया गया था। उस समय SC में फैसला सुनने वाली बेंच में डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। वह उस दौरान चीफ जस्टिस नहीं थे किंतु एकमत से फैसला देने वाली बेंच का हिस्सा थे। यह फैसला इतना महत्वपूर्ण था कि देश के 500 सालों के इतिहास को बदलने वाला रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण उसके बाद ही शुरू हुआ, जहां इसी साल 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी।
अनुच्छेद 370 जैसे फैसलों में ही अहम भूमिका
इसी तरह अनुच्छेद 370 हटाने के लिए खिलाफ दायर याचिकाओं पर भी चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने लंबी सुनवाई की थी। अदालत ने आर्टिकल 370 हटाने को संविधान के तहत ही माना था। इस केस में चीफ जस्टिस ने कहा था कि जजों ने संविधान और कानून के दायरे में रहकर ही फैसला लिया है।
कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न को लेकर सुनाया था फैसला
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को लेकर भी फैसला सुनाया था। बेंच का कहना था कि ऐसा होना महिलाओं के मौलिक अधिकार का हनन है। अदालत ने कहा था कि इससे महिलाएं कैसे कामकाज के लिए प्रोत्साहित हो सकेंगी। इस फैसला महिलाओं की सुरक्षा के नजरिये से बेहद खास था।
इलेक्टोरल बॉन्ड को किया था ख़त्म
भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए की थी। इस व्यवस्था के माध्यम से भाजपा, कांग्रेस समेत सभी दलों ने करोड़ों रुपये हासिल किए थे। लेकिन चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इसे खारिज कर दिया था। बेंच का कहना था कि यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं है। भारत में इलेक्टोरल बांड को लेकर लम्बे समय से विवाद चला आ रहा था लेकिन सीजेआई के फैसले से इस मुद्दे पर काफी राहत मिली थी।
दिल्ली अफसरों के तबदलो पर भी दिया था फैसला
दिल्ली सरकार के प्रशासन और अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर विवाद एवं अंतिम निर्णय किसका मान्य होगा। इसे लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई थी। इस पर अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही फैसले का अधिकार है, जो उसके दायरे में आते हैं।
धर्म बदलना निजता का अधिकार है
केरल के मशहूर हादिया मैरिज केस में फैसला सुनाने वाली बेंच का भी डीवाई चंद्रचूड़ हिस्सा थे। बेंच का कहना था कि यदि कोई युवती बालिग है तो यह उसका अधिकार है कि वह किससे विवाह कहे। इसके अलावा यदि उसने अपना धर्म मर्जी से बदल लिया है तो उस पर भी कोई आपत्ति नहीं कर सकता। अदालत ने धर्म बदलने को निजता का अधिकार करार दिया था। इससे पहले मन मर्जी से धर्म परिवर्तन को लेकर काफी केस कोर्ट में दायर होते थे। लेकिन इस ऐतिहासिक फैसले के बाद इसपर काफी रोक लगी।
सबरीमाला पर सुनाया था ऐतिहसिक फैसला
सबरीमाला में औरतों के प्रवेश को लेकर लम्बे समय से विवाद चला आ रह था। बाद में सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने फैसला दिया था, उसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे। चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए अपनी राय दी थी कि यह ऐसा करना असंवैधानिक है। संविधान के कई अनुच्छेद इसे वर्जित करते हैं और इस तरह की प्रैक्टिस जारी रखना गलत है।
कॉलेजियम सिस्टम पर भी दी थी अपनी राय
राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाम कॉलेजियम की बहस को लेकर भी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम राय दी थी। उनका कहना था कि कॉलेजियम की व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी है। उनका कहना था कि हमने ऐसे कदम उठाए हैं कि कॉलेजियम का सिस्टम पारदर्शी रहे। उनका कहना था कि हम किसी जज को सुप्रीम कोर्ट में लाने की सिफारिश करते हुए यह देखते हैं कि हाई कोर्ट में उसका करियर कैसा था।
वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी को दी थी जमानत
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर भी बड़ा फैसला सुनाया था। अदालत ने उन्हें बेल दी थी और कहा था कि यह अधिकार है। इसके साथ ही बेंच का कहना था कि निजी अदालतों को ही इस संबंध में फैसला लेना चाहिए। उन्हें बेल की अर्जियों पर समय रहते ही फैसला करना चाहिए।