×

Supreme Court on Freebie: सुप्रीमकोर्ट की सख्त टिप्पणी - मुफ्त की चीजों के चलते लोग काम ही नहीं कर रहे!

Supreme Court on Freebie: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले मुफ्त की चीजों की घोषणा करने की प्रथा पर सख्त आपत्ति जताई है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं लोगों को काम करने से रोकती हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 12 Feb 2025 4:11 PM IST (Updated on: 12 Feb 2025 4:12 PM IST)
Supreme Court
X

Supreme Court (Photo: Social Media)

Supreme Court on Freebie: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले मुफ्त की चीजों की घोषणा करने की प्रथा पर सख्त आपत्ति जताई है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं लोगों को काम करने से रोकती हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों को मुख्यधारा के समाज का हिस्सा न बनाकर, क्या हम पैरासाइट्स का एक वर्ग नहीं बना रहे हैं? जब चुनाव घोषित होते हैं तो मुफ्त चीजों की वजह से लोग काम करने को तैयार नहीं होते। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है। उन्हें बिना कोई काम।किये पैसा मिल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ शहरी बेघरों के लिए आश्रय के अधिकार पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से केंद्र से यह सत्यापित करने को कहा कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कितने समय के भीतर लागू किया जाएगा। वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों को संबोधित करेगा।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि बेघरों को मुख्यधारा में लाना बेहतर तरीका होगा। इस तरह वे मुफ्त की चीजों पर निर्भर रहने के बजाय राष्ट्रीय विकास में योगदान दे सकते हैं। पीठ ने कहा - क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें (बेघरों को) समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए और उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान करने की अनुमति दी जाए।

यह पहली बार नहीं है जब शीर्ष अदालत ने मुफ्त की चीजें देने के लिए राजनीतिक दलों की खिंचाई की है। पिछले साल कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र से चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की चीजें देने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा था।

एक और मामला

इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने रेटिरेफ़ न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा द्वारा भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें इन पार्टियों द्वारा चुनावों में मतदाताओं को नकदी वितरित करने के राजनीतिक वादों को लेकर सवाल उठाए गए थे। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस तरह का कृत्य "भ्रष्ट आचरण" के अर्थ में आता है।

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से सर्वोच्च न्यायालय का रुख करने को कहा, जहां अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ के मामले में इसी तरह का मामला लंबित है।

सुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त न्यायाधीश की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि राजनीतिक दल सरकारी खजाने की कीमत पर मुफ्त चीजें बांटने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका में मतदाताओं की स्पष्ट सहमति के बिना मौद्रिक योजनाओं की आड़ में राजनीतिक दलों द्वारा डेटा एकत्र करने का मुद्दा भी उठाया गया है।



Ragini Sinha

Ragini Sinha

Next Story