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Supreme Court: सुप्रीमकोर्ट के फैसले अब 4 भाषाओं में होंगे उपलब्ध, अंग्रेजी के अलावा ये होंगी अन्य भाषाएं
Supreme Court: जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली हाईकोर्ट के ऑनलाइन ई-निरीक्षण सॉफ्टवेयर का उद्घाटन करते हुए कहा कि कानूनी प्रणाली में प्रौद्योगिकी शक्तिशाली उपकरण बन गई है।
सुप्रीम कोर्ट (photo: social media )
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब अंग्रेजी के साथ साथ 4 और भाषाओं में उपलब्ध होंगे। ये भाषाएं हैं : हिंदी, गुजराती, उड़िया और तमिल।भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि अभी सभी फैसले अंग्रेजी में होते हैं इसलिए 99.9 प्रतिशत नागरिक इन्हें समझ नहीं पाते।
टेक्नोलॉजी की मजबूती
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली हाईकोर्ट के ऑनलाइन ई-निरीक्षण सॉफ्टवेयर का उद्घाटन करते हुए कहा कि कानूनी प्रणाली में प्रौद्योगिकी शक्तिशाली उपकरण बन गई है। इससे न्याय प्रशासन की दक्षता, पहुंच व सटीकता में सुधार हुआ है।
क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद
चीफ जस्टिस ने कहा है कि न्याय तभी सार्थक है, जब लोग अपनी बोलने वाली भाषा में फैसले समझें। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की ज़रूरत है क्योंकि उच्च अदालतों में इस्तेमाल होने वाली जटिल क़ानूनी शब्दों वाली अंग्रेज़ी देश के 99.9 फीसदी लोगों की समझ से परे है। सुप्रीम कोर्ट इस पहल की शुरुआत चार क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों के अनुवाद के जरिये करने जा रहा है।
अनुवाद के लिए समिति
हिंदी, तमिल, गुजराती,ओड़िया में अनुवाद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि फैसलों का अनुवाद तकनीक का जरिये के अनुवाद होगा। अनुवाद के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। लेकिन इस मशीनी अनुवाद को न्यायिक अधिकारियों के देखने के बाद ही जारी किया जाएगा ताकि कहीं अर्थ का अनर्थ न हो।
आरटीआई पोर्टल
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना आरटीआई पोर्टल शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा - मैं दिल्ली हाई कोर्ट समेत तमाम हाई कोर्ट से आग्रह करता हूँ कि वो अपना आरटीआई पोर्टल शुरू करें ताकि लोग सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके ज़रूरी जानकारी हासिल कर सकें।
4 साल में 538 फैसलों का अनुवाद
संसद के पिछले सत्र में एक सवाल के जवाब में दी गई जानकारी के मुताबिक, बीते चार साल में कुल 538 फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। इनमें भी आधे से ज्यादा यानी 290 फैसले हिंदी में अनुदित हुए हैं, लेकिन इस अंतराल में साल दर साल अनुवादित फैसलों की संख्या लगातार घट रही है। इनमें से छह फैसले असमी में, तीन बंगाली, दो गारो, 290 हिंदी, 24 कन्नड़, 47 मलयालम, 26 मराठी, तीन नेपाली, 26 उड़िया, 10 पंजाबी, 76 तमिल, 18 तेलुगु और पांच उर्दू में अनुवादित हैं। 2019 में सबसे ज्यादा 209 फैसले क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित हुए थे। इसके बाद 2020 में 1,42,2021 में 100 और 2022 में सिर्फ 82 फैसले ही अनुवादित हुए हैं।