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लिंग परीक्षण पर SC सख्त, कहा- 36 घंटे के अंदर हटाओ वेबसाइटों से विज्ञापन

ऑनलाइन साइटों पर लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापनों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियां इन विज्ञापनों को 36 घंटे में डीलीट करें। कोर्ट ने ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखने के लिए केंद्र को नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश भी दिया।

tiwarishalini
Published on: 16 Nov 2016 10:25 PM IST
लिंग परीक्षण पर SC सख्त, कहा- 36 घंटे के अंदर हटाओ वेबसाइटों से विज्ञापन
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नई दिल्ली: ऑनलाइन वेबसाइटों पर लिंग परीक्षण से संबंधित जानकारियों और विज्ञापनों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियां इन विज्ञापनों और जानकारियों को 36 घंटे के अंदर डीलीट करें। कोर्ट ने ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखने के लिए केंद्र को नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश भी दिया।

जहां ऐसे विज्ञापनों की शिकायत की जा सकेगी। ये निर्देश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और अमिताव राव की बेंच ने वेबसाइट पर लिंग परीक्षण के विज्ञापन रोकने की मांग पर सुनवाई के बाद दिए। कोर्ट भ्रूण परीक्षण कानून की धारा 22 में ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने के कानूनी पहलू पर 17 फरवरी को सुनवाई करेगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वेबसाइटों पर लिंग परीक्षण संबंधी विज्ञापनों पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि याहू और गूगल आदि सर्च इंजनों ने लिंग परीक्षण संबंधी विज्ञापनों को ऑटो ब्लॉक करने की योजना तैयार की है और 22 की-वर्ड भी निकाले हैं।

कोर्ट ने क्या कहा ?

-बेंच ने कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता वेबसाइट पैसा कमाएं या न कमाएं।

-लिंग परीक्षण संबंधी किसी भी तरह की जानकारी और विज्ञापन की इजाजत नहीं दी जा सकती।

-सुनवाई के दौरान बेंच ने घटते सेक्स रेशियो पर चिंता जाहिर की है।

-कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात हो गए हैं कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं।

-लड़का कैसे होगा और लड़की कैसे होगी? ऐसी जानकारी की देश में कोई जरूरत नहीं।

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग की पहचान गैरकानूनी

-बात दें कि भारत में भ्रूण के लिंग की पहचान करना 1994 के प्री-कन्सेप्शन एंड प्री-नेटल सेक्स डिटरमिनेशन (पीसीपीएनडीटी) एक्ट के तहत गैरकानूनी है।

-पीसीपीएनडीटी एक्ट की धारा-22 लिंग परीक्षण के विज्ञापनों की मनाही करती है।

गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी पहले के दिए गए आदेश का पालन कर रही है और अभी भी इस तरह के विज्ञापनों को ब्लॉक करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अन्य सर्च इंजनों की ओर से वकालत कर रहे वकीलों ने भी ऐसे कदम उठाने का जिक्र किया।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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