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'क्या हम यहां न्यूटन या आइंस्टीन को गलत साबित करने बैठे हैं'? सुप्रीम कोर्ट की याचिकाकर्ता को फटकार

Supreme Court Dismisses PIL: सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने आदेश में कहा क‍ि, 'याचिकाकर्ता ये साबित करना चाहता है कि डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण गलत हैं। वह उक्त उद्देश्य के लिए एक मंच चाहता है।'

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Published on: 13 Oct 2023 11:54 AM GMT (Updated on: 13 Oct 2023 12:07 PM GMT)
Supreme Court News
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Supreme Court News (Social Media)

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आए दिन कुछ लोगों द्वारा अजीबोगरीब याचिका दाखिल की जाती है। ऐसी ही एक याचिका में चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) के 'प्राकृतिक चयन और जैविक विकास' के सिद्धांत के साथ-साथ अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) के सापेक्षता के सिद्धांत के सूत्र (E=MC2) को गलत बताया गया। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मांग की है कि, डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत में सुधार की जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम यहां न्यूटन (Newton) या आइंस्टीन (Einstein) को गलत साबित करने के लिए नहीं बैठे हैं। बेहतर होगा कि, याचिकाकर्ता अपना सिद्धांत खुद प्रतिपादित करें। जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) और जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की सदस्यीय खंडपीठ ने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता यह साबित करना चाहता है कि डार्विन के 'विकासवाद' के सिद्धांत और आइंस्टीन के 'समीकरण' गलत है। वह उक्त उद्देश्य के लिए एक मंच चाहता है।'

अदालत इसमें क्या कर सकता है?

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता राज कुमार (Petitioner Raj Kumar) ने कहा कि, 'चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन (धरती पर जीवन के विकास का सिद्धांत) और अल्बर्ट आइंस्टाइन का फॉर्मूला E = mc2 अर्थात ऊर्जा से जुड़ा अहम सिद्धांत को उन्होंने स्कूल और कॉलेज में पढ़ा है। आज वह ये कह सकते हैं कि यह सिद्धांत वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गलत हैं। इस पर जजों ने सवाल पूछा कि, अदालत इसमें क्या कर सकता है?

'अदालत का काम उन्हें सलाह देना नहीं'

जस्टिस कौल ने कहा, 'क्या ये अदालत का काम है कि वो न्यूटन या आइंस्टाइन के सिद्धांतों का परीक्षण करे? उन्होंने कहा, आपको किस वकील ने याचिका दाखिल करने की सलाह दी?' इस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि, खुद याचिका दाखिल की है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने पूछा कि, यदि कोर्ट उनकी याचिका को नहीं सुनेगा तो वह कहां जाएं? इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, 'अदालत का काम उन्हें सलाह देना नहीं है।'

SC ने कहा- आप चाहें तो अपना सिद्धांत गढ़ लें

जजों ने कहा, 'अगर लंबे अरसे से प्रचलित वैज्ञानिक सिद्धांत (scientific theory) किसी को गलत लगते हैं तो वह अपने सिद्धांत गढ़ने और उनका प्रचार करने के लिए स्वतंत्र है। याचिकाकर्ता भी चाहे तो ऐसा कर सकता है। ये कोई ऐसा विषय नहीं, जिस पर अदालत को सुनवाई करनी चाहिए।' इसके बाद जजों ने याचिका खारिज कर दी।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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