TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

महिला अपराधों पर SC की नाराजगी, पूछा- क्या इस देश में उन्हें शांति से जीने का अधिकार नहीं?

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सवाल किया कि क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है?

tiwarishalini
Published on: 23 April 2017 8:34 PM IST
महिला अपराधों पर SC की नाराजगी, पूछा- क्या इस देश में उन्हें शांति से जीने का अधिकार नहीं?
X
महिला अपराधों पर SC की नाराजगी, पूछा- क्या इस देश में उन्हें शांति से जीने का अधिकार नहीं?

नई दिल्ली: महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सवाल किया कि क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है?

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली और जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एमएम शांतानागोंदर की बेंच ने एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 16 साल की एक लड़की के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने और सुसाइड जैसा कदम उठाने को मजबूर करने के एक मामले में सात साल की कारावास की सजा सुनाई है। याचिकाकर्ता ने इसी के खिलाफ अपील की।

आरोपी की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस देश में क्या महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है ?

कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला पर प्रेम करने के लिए दबाव नहीं बना सकता क्योंकि महिला की खुद की स्वतंत्र पसंद होती है। बेंच ने कहा कि यह किसी भी महिला की अपनी पसंद है कि वह किसी व्यक्ति से प्रेम करना चाहती है या नहीं। महिला पर कोई भी किसी से प्रेम करने का दबाव नहीं बना सकता। प्रेम की अवधारणा होती है और पुरूषों को यह स्वीकार करना चाहिए।

बहस के दौरान, व्यक्ति की ओर से पेश वकील ने लड़की के मृत्युपूर्व बयान पर संदेह जताते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, हॉस्पिटल में एडमिट रहने के दौरान वह बोलने या लिखने में सक्षम नहीं थी।

वकील के मुताबिक, डॉक्टर्स ने कहा कि वह 80 फीसदी जल चुकी थी और मृत्युपूर्व बयान लिखना उसके लिए संभव नहीं था। वह बोल भी नहीं सकती थी। उसके दोनों हाथ जल चुके थे। वह इस स्थिति में नहीं थी कि कुछ लिख या कह सके।

इस मामले में जुलाई 2010 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी शख्स को बरी कर दिया था। जिसके बाद हिमाचल सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। पुलिस के मुताबिक लड़की के पिता ने शख्स के खिलाफ अपहरण और रेप का केस भी दर्ज कराया था, लेकिन आरोपी उनमें भी बरी हो गया था।

धमकी और छेड़छाड़ से तंग आकर लड़की ने जुलाई 2008 में उस वक्त खुद को आग लगा लिया था, जब उसके मां-बाप घर पर नहीं थे। बाद में हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। हिमाचल हाई कोर्ट ने लड़की की मौत से पहले के बयान को सही मानते हुए आरोपी को दोषी करार दिया और उसे 7 साल जेल की सजा सुनाई थी।



\
tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story