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Supreme Court Hearing Freebies: रेवड़ी कल्चर पर SC ने केंद्र से पूछा, विशेषज्ञ समिति का गठन क्यों नहीं करते ?

Supreme Court Hearing Freebies: कुछ सुनवाईयों के दौरान इस मामले में अदालत की टिप्पणियां सुर्खियां बटोर रही हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 24 Aug 2022 1:44 PM IST
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट। (photo: social media )

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Supreme Court Hearing Freebies: चुनाव के दौरान सियासी दलों द्वारा की जाने वाली लुभावनी घोषणाओं का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच चुका है। बुधवार को इस मुद्दे पर एक बार फिर शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही है। सीजेआई एनवी रमण (CJI NV Raman), जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और जस्टिस सीटी रवि कुमार (Justice CT Ravi Kumar) की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।

पिछली कुछ सुनवाईयों के दौरान इस मामले में अदालत की टिप्पणियां सुर्खियां बटोर रही हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, कि 'यदि कोई सिंगापुर भेजने का वादा करे तो हम क्या कर सकते हैं? बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने को सुझाव देते हुए कहा, कि 'अदालत को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में एक समिति बना देनी चाहिए। इस पर एसजी तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि पूर्व कैग के नेतृत्व में समिति बनाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के सुझावों को सुनने के बाद कहा कि जो रिटायर हो गया उसकी वैल्यू क्या रहती है।'

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा ये सवाल ?

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि वो इस मामले पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन क्यों नहीं करती ? इसका जवाब देते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि, मामला आपके पास है। सरकार हरेक पहलू पर सहायता करने के लिए तैयार है। सॉलिसिटर जनरल ने चुनाव में मुफ्त घोषणाओं पर नियंत्रण के लिए पूर्व सीएम विनोद राय के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट को एक कमेटी गठन करने का सुझाव दिया। जबकि याचिकाकर्ता भाजपा नेता के वकील विकास सिंह ने इस कमेटी के लिए सेवानिवृत्त जज आरएम लोढ़ा का नाम सुझाया।

सीजेआई ने कहा मामले पर चर्चा की जरूरत

सीजेआई ने ये भी कहा, कि 'केंद्र सरकार मुफ्तखोरी पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती है? उन्होंने कहा, कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है। आज जो विपक्ष में हैं वो कल सत्ता में आ सकते हैं। इसलिए सबको सोचना है।'



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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