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Shiv Sena Dispute : शिवसेना किसकी? पर शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत, EC की कार्रवाई पर रोक से इनकार

शिवसेना विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फिर सुनवाई कर रहा है। शिवसेना पर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों खेमे अपना-अपना दावा पेश कर रहे।ठाकरे की तरफ से सिब्बल दलील रख रहे हैं।

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Written By aman
Published on: 27 Sept 2022 5:00 PM IST (Updated on: 27 Sept 2022 5:19 PM IST)
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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)

Shinde-Uddhav Dispute Hearing in SC: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में मंगलवार (27 सितंबर 2022) को एक बार फिर 'असली शिवसेना' (Shiv Sena) पर बहस जारी है। मुद्दा वही है कि आखिर शिव सेना है किसकी? इसी मुद्दे पर उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद एकनाथ शिंदे गुट को राहत दी। साथ ही, कोर्ट ने असली शिवसेना पर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर भी रोक नहीं लगायी है।

सर्वोच्च अदालत के फैसले से शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है। जबकि, एकनाथ शिंदे गुट को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब चुनाव आयोग को ये तय करना है कि असली शिवसेना उद्धव गुट वाली है या फिर शिंदे गुट वाली। उद्धव ठाकरे खेमे ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट में की थी। इस मांग को आज खारिज कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- EC सिंबल पर ले सकती है फैसले

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग में पार्टी पर प्रभुत्व, नाम तथा निशान के अधिकार को लेकर जारी प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत का यह फैसला उद्धव खेमे के लिए आफत तो शिंदे गुट के लिए राहत समान है। कोर्ट ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग सिंबल मामले पर सुनवाई करने को स्वतंत्र है।

सिब्बल ने रखी दलील

संविधान पीठ ने आज की सुनवाई में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को पहले दलील पेश करने को कहा। जिस पर सिब्बल बोले, ये पूरा मामला 20 जून 2022 को शुरू हुआ था। जब शिवसेना का एक विधायक एक सीट हार गया था। तब विधायक दल की बैठक बुलाई गई और उनमें से कुछ गुजरात और फिर गुवाहाटी चले गए। ऐसी सूरत में उन्हें उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था। मगर, जब वो उपस्थित नहीं हुए तो उन्हें विधानसभा में पद से हटा दिया गया था।

...मतलब सदन की कार्यवाही SC के अधीन है

अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने आगे कहा, 'हम आपको पार्टी नेता के रूप में नहीं पहचानते हैं। नया व्हिप अधिकारी नियुक्त (whip officer appointed) किया गया। तब पता चला कि वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ अलग सरकार बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 29 जून 2022 को इस कोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) को उचित विचार के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। फिर कहा गया, कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के परिणाम के अधीन विश्वास मत होगा । कपिल सिब्बल ने कहा, इस सब का मतलब है कि मुख्यमंत्री का कार्यालय और विधानसभा की कार्यवाही इस कोर्ट के निर्णय के अधीन है। 19 जुलाई को अकेले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने चुनाव आयुक्त से संपर्क किया था।'

'वह स्वयं पार्टी पर कब्जा नहीं ले सकते'

उद्धव गुट के वकील सिब्बल (Advocate Sibal) ने दलील में कहा, कि जो विधायक अलग हुए वो शिवसेना के थे। उन्होंने कहा, 'वो अलग होने पर अन्य पार्टी के साथ सरकार बना सकते थे। मगर, शिवसेना पर आधिपत्य के आधार पर सरकार नहीं बना सकते। वरिष्ठ वकील ने ये भी कहा, कि विधायक किसी दूसरी पार्टी के साथ जाते हैं या अलग होते हैं, तो वह पार्टी की सदस्यता खो देते हैं। वह स्वयं पार्टी पर कब्जा नहीं ले सकते हैं। कपिल सिब्बल ने आगे कहा, कि पार्टी तोड़ने की स्थिति में वह विधानसभा में पार्टी के सदस्य के तौर पर कैसे आ सकते हैं?'

मैंने लोकतांत्रिक दुनिया में कभी नहीं सुना

कपिल सिब्बल ने आगे कहा, मैंने लोकतांत्रिक दुनिया में कभी नहीं सुना कि 5 साल की अवधि के लिए चुनी गई सरकार को इस तरह गिरा दिया जाता है। उन्होंने कहा, यहां हम कुछ ऐकडेमिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। आखिर लोकतंत्र किस ओर जा रहा है? वो व्हिप भी नियुक्त करते हैं, व्हिप कहता है कि आपको स्पीकर के पद के लिए वोट करना है और वो बीजेपी उम्मीदवार को वोट देते हैं। यह सब 29 तारीख के बाद होता है जो कोर्ट के आदेश का विषय नहीं है।

एक ही समय EC और SC में सुनवाई कैसे संभव?

कोर्ट में एक अन्य वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अपनी दलील रखी। उन्होंने कहा, एक ही समय पर चुनाव आयोग (election Commission) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामले की सुनवाई कैसे संभव है? उन्होंने कहा, एकनाथ शिंदे गुट को या तो नया दल बनाना होगा या फिर किसी अन्य राजनितिक दल में विलय करना होना। सिंघवी ने आगे कहा, कि अलग हुआ गुट मूल राजनीतिक दल से 'एंटी डिफेक्शन कानून' (Anti Defection Law) के तहत पूरी तरह से अलग होता है। ऐसे में चुनाव आयोग कैसे मामले पर विचार कर सकता है?

सिंघवी- कैसे खटखटाया EC का दरवाजा?

अभिषेक मनु सिंघवी ने सर्वोच्च अदालत के एक फैसले का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा, कि 'एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहते चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग इस आधार पर आगे बढ़ सकता है कि ये 40 व्यक्ति अब पार्टी का हिस्सा नहीं हैं? जिस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, जब योग्यता का फैसला अदालत द्वारा नहीं किया गया या उसका निर्णय आना शेष है, तो ऐसी स्थिति में आयोग कैसे आगे बढ़ सकता है?'



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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