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SC:...खत्म होती नहीं दिख रही सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच तनातनी, कोर्ट ने कहा- इस तरह सिस्टम कैसे चलेगा?
Supreme Court: शीर्ष अदालत कानून मंत्री के बयान से नाराज है। कोर्ट ने कहा, 'जजों की नियुक्ति मामले में कई नाम लंबे वक्त से सरकार के पास हैं। इस तरह सिस्टम कैसे चल सकता है?
Supreme Court on Collegium System: सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तनातनी ख़त्म होती नजर नहीं आ रही। दोनों तरफ से जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि अभी 'संघर्ष विराम' के आसार नजर नहीं आ रहे। कॉलेजियम (Collegium) की तरफ से भेजे गए नामों पर सरकार द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए ये भी कहा, कि अगर सरकार ने फैसला नहीं लिया तो उसे न्यायिक आदेश देना पड़ सकता है।
ज्ञात हो उससे पहले, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने कहा था कि, 'कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) ये नहीं कह सकता कि सरकार उसकी तरफ से भेजे हर नाम को तुरंत मंजूरी दे। अगर ऐसा है तो उन्हें खुद ही नियुक्ति कर लेनी चाहिए।' माना जा रहा है कि, कानून मंत्री के इस बयान के बाद ही विवाद और गहराता जा रहा है।
...इस तरह सिस्टम कैसे चलेगा?
गौरतलब है कि, जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर सुनवाई कर रही जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) की अध्यक्षता वाली बेंच ने काफी वक्त से सरकार के पास अटकी फाइलों पर गहरा असंतोष जताया है। जस्टिस कौल ने कहा, 'जजों की नियुक्ति मामले में कई नाम डेढ़ साल से भी अधिक वक्त से सरकार के पास हैं। इस तरह सिस्टम कैसे चल सकता है? अच्छे वकीलों को जज बनने के लिए सहमत करना आसान नहीं है, मगर सरकार ने नियुक्ति को इतना कठिन बना रखा है कि देरी से परेशान लोग बाद में खुद ही अपना नाम वापस ले लेते है?'
क्या कहा था कानून मंत्री ने?
इससे पहले, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि, 'कोर्ट या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सर्वथा अपरिचित हो सकती है। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा। कानून मंत्री ने ये भी कहा कि, कॉलेजियम सिस्टम हमारे संविधान के प्रति सर्वथा 'अपरिचित शब्दावली' है। उन्होंने आगे कहा, आप मुझे बताइए कि किस प्रावधान में कॉलेजियम सिस्टम का जिक्र किया गया है।'
जस्टिस कौल- 'उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था'
जजों की नियुक्ति मामले पर सुनवाई के दौरान आज जस्टिस कौल ने कहा, 'समस्या यही है कि शीर्ष अदालत की तरफ से निर्धारित कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) का पालन करने को सरकार तैयार नहीं है। ऐसी बातों का दूरगामी असर पड़ता है।' याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह (Advocate Vikas Singh) ने कानून मंत्री रिजिजू के बयान की अदालत को जानकारी दी। इस पर मौजूद जजों ने नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, 'हमने अब तक कई बयानों की उपेक्षा की है, लेकिन यह एक बड़े पद पर बैठे व्यक्ति का बयान है। उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।'
नाम रोकने पर कोर्ट नाराज
सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि, 'केंद्र की तरफ से बिना कोई वजह बताए जजों के नामों को रोककर रखना गलत है। सरकार अपनी मर्जी से नामों का चयन कर रही है। जिससे वरिष्ठता का क्रम भी गड़बड़ा रहा है।' इस अहम मसले पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी (Attorney General R Venkataramani) ने कहा, 'वह लंबित फाइलों पर सरकार से बात कर जवाब देंगे।' इस पर अदालत ने सुनवाई के लिए 8 दिसंबर का दिन मुकर्रर किया है। सीनियर लॉयर विकास सिंह ने अदालत से अवमानना नोटिस जारी करने की मांग की, जिसका अटॉर्नी जनरल ने विरोध किया।