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Supreme Court ने जबरन धर्मान्तरण को बताया गंभीर, कहा- दबाव या लालच से धर्म परिवर्तन, देश की सुरक्षा को खतरा

Religion Conversion Case: सर्वोच्च अदालत ने ने लालच, धोखे या दबाव में धर्म परिवर्तन को गंभीर माना है। अदालत ने इस मसले केंद्र सरकार से 22 नवंबर तक जवाब देने को कहा है।

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Written By aman
Published on: 14 Nov 2022 11:49 AM GMT
supreme court on religion conversion case said forced- religious conversion is very serious issue
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Supreme Court। (Social Media)

Religion Conversion Case: सुप्रीम कोर्ट ने धोखे, लालच और दबाव में हुए धर्म परिवर्तन को गंभीर माना है। शीर्ष अदालत ने इसे न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता (SC on Religious Freedom) के अधिकारों के खिलाफ बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बताया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध धर्मांतरण (Illegal Conversion) के खिलाफ कानून की मांग पर केंद्र सरकार से 22 नवंबर 2022 तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय ने दी थी। याचिकाकर्ता ने दबाव, लालच और धोखे से धर्म परिवर्तन कराने वालों से सख्ती से निपटने की मांग की है। अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में दबाव के चलते आत्महत्या करने वाली लावण्या मामले सहित अन्य घटनाओं का भी हवाला दिया।

SC- हम केंद्र सरकार का स्टैंड जानना चाहते हैं

पिछली सुनवाई में 23 सितंबर को शीर्ष अदालत के जस्टिस एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की थी। तब कोर्ट ने गलत तरीके से धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग पर नोटिस जारी किया था। मगर, केंद्र सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने केंद्र के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस शाह ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) से कहा, ये देश की सुरक्षा से भी जुड़ा मसला है। और आप कह रहे हैं कि कुछ राज्यों ने कानून बनाए गए हैं। हम केंद्र सरकार का स्टैंड जानना चाहते हैं। आप 22 नवंबर तक जवाब दाखिल कीजिए। 28 नवंबर को सुनवाई होगी।' इस मामले में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने लालच, दबाव या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने वालों से सख्ती से निपटने की मांग की है।

जानें क्या है लावण्या केस?

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में लावण्या मामले को उठाया। आपको बता दें, तमिलनाडु के तंजावुर की रहने वाली 17 वर्षीय स्टूडेंट लावण्या ने इस साल 19 जनवरी को जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उसने एक वीडियो बनाया था। जिसमें उसने कहा था कि, उसका स्कूल 'सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी' उस पर ईसाई बनने के लिए दबाव बना रहा है। जिसके तहत लगातार उसका उत्पीड़न हो रहा है। परेशान होकर वह अपनी जान दे रही है। तब मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने घटना की जांच CBI को सौंपी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराया था।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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