Supreme Court: रिश्तों में सुधार की गुंजाइश न हो तो तुरंत तलाक, SC का ऐतिहासिक फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 मई) को तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां रिश्तों में सुधार की गुंजाइश न हो, तलाक को मंजूरी दे सकता है।

Jugul Kishor
Published on: 1 May 2023 12:13 PM GMT (Updated on: 1 May 2023 12:39 PM GMT)
Supreme Court: रिश्तों में सुधार की गुंजाइश न हो तो तुरंत तलाक, SC का ऐतिहासिक फैसला
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सुप्रीम कोर्ट ( सोशल मीडिया)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 मई को तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां रिश्तों में सुधार की गुंजाइश न हो, तलाक को मंजूरी दे सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि तलाक के लिए सहमत पति-पत्नी को फैमिली कोर्ट में भेजे बिना ही अलग रहने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने कहा हमने व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है।

अब से तलाक के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार

कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट यह आदेश दिया गया है कि वह न्याय के लिए दोनों पक्षों की सहमति से कोई भी आदेश जारी कर सकता है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षत वाली बेंच में जस्टिस संजीव खनान, जस्टिस एएस ओका, विक्रम नाथ और जस्टिस एके माहेश्वरी शामिल थे। बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि शादी में रिश्ते सुधरने की गुंजाइश ना बची हो तो फिर सुप्रीम कोर्ट से तलाक मिल सकता है। जस्टिस खन्ना की बेंच ने कहा कि तलाक देने के लिए अब से फैमिली कोर्ट जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, जहां तलाक के लिए 6 से 18 महीनों का इंतजार करना पड़ता है।

SC ने तलाक के लिए बनाई कुछ गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए कुछ गाइडलाइंस भी तय की है, जिन पर फैसला देते समय विचार करना पड़ेगा। बेंच ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट में संबंध सुधारने की गुंजाइश ना होने वाली नहीं कही गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए तलाक मंजूर कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा व्यभिचार, धर्मांतरण और क्रूरता जैसी चीजें भी तलाक के लिए आधार मानी गई हैं।

बता दें 2016 में एक मामले की सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय बेंच ने संवैधानिक बेंच के सामने मामला भेजा था। इस मामले में सितंबर 2022 में ही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

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