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Hate Speech : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'हेट स्पीच स्वीकार नहीं, रोकने के लिए बनाएं कमेटी'...नूंह हिंसा पर की सख्त टिप्पणी

SC On Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से एक समिति गठित करने को कहा है। अदालत ने ये भी कहा है कि हेट स्पीच से माहौल खराब होता है।

Aman Kumar Singh
Published on: 11 Aug 2023 9:38 PM IST (Updated on: 11 Aug 2023 10:28 PM IST)
Hate Speech : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हेट स्पीच स्वीकार नहीं, रोकने के लिए बनाएं कमेटी...नूंह हिंसा पर की सख्त टिप्पणी
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SC On Hate Speech (Social media)

SC On Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट ने देश में अलग-अलग जगहों से नफरत भरे भाषण (Hate Speech) पर नाराजगी व्यक्त की है। इसके लिए केंद्र सरकार से एक समिति गठित करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने ये भी कहा है कि, हेट स्पीच कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता। इसके अलावा कोर्ट ने समुदायों के बीच सौहार्द तथा भाईचारा बरकरार रखने की आवश्यकता पर भी बल देने की बात कही। अदालत ने हाल ही में हरियाणा में हुए सांप्रदायिक दंगों (Communal Riots) के मद्देनजर दर्ज मामलों की जांच के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा समिति गठित किए जाने पर भी विचार किया।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, 'हम हरियाणा के डीजीपी से उनके द्वारा नामित तीन या चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं। ये SHO से सभी जानकारियां प्राप्त करेगी। उनकी जांच करेगी। यदि जानकारी सही पाई जाती है तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेगी।' बेंच ने ये भी कहा कि, 'एसएचओ और पुलिस स्तर पर संवेदनशीलता बनाने की आवश्यकता है।'

'समुदायों के बीच सद्भाव-सौहार्द होना चाहिए'

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) और जस्टिस एस.वी भट्टी (Justice SV Bhatti) की दो सदस्यीय पीठ ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज (ASG KM Nataraj) से निर्देश लेने तथा 18 अगस्त तक प्रस्तावित समिति के बारे में सूचित करने को कहा है। बेंच ने ये भी कहा, 'समुदायों के बीच कुछ सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। इसके लिए सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। हमें नहीं पता कि, क्या इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है लेकिन नफरत भरे भाषण (Hate Speech) बिल्कुल भी मंजूर नहीं हैं।'

'विशेष समुदाय' के खिलाफ हेट स्पीच पर याचिका

आपको बता दें, सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सहित देश के अलग-अलग राज्यों में हुई रैलियों में एक 'विशेष समुदाय' के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार (Economic Exclusion) के आह्वान संबंधी कथित घोर नफरत भरे भाषणों को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कही।

पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला ने दी थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता और पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला (shaheen abdullah) को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने और 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के अनुपालन में प्रत्येक राज्य में नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

'भाषणों से निपटने का तंत्र उतना सजग नहीं'

सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर नटराज ने कहा, 'भारत सरकार भी नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ काम कर रही है, पूरी तरह जांच की जानी चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ जगहों पर काम नहीं कर रहा।' इसी तरह, सुनवाई की शुरुआत में पत्रकार अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि, 'लोगों को नफरत भरे भाषणों से बचाने की जरूरत है। इस तरह का जहर नहीं चल सकता।'

नूह में बुलडोजर एक्शन रोकने वाली बेंच को सुनवाई से हटाया

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की एक पीठ ने 7 अगस्त को नूह और गुरुग्राम में हुई हिंसा पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने हिंसा के बाद नूह में लोगों के घर पर की जा रही बुलडोजर कार्रवाई (Nuh Bulldozer Action) पर रोक लगा दी थी। अदालत ने हरियाणा की खट्टर सरकार से सवाल किया था कि, क्या राज्य जातीय संहार करने की कोशिश कर रहा है? अब इस बेंच को बदल दिया गया है। लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, 10 अगस्त की देर रात हाईकोर्ट की इस बेंच को बदल दिया गया। बेंच 11 अगस्त को इस मामले की फिर से सुनवाई करने वाली थी। इससे पहले, बेंच का ट्रांसफर हो गया है। जिसमें जस्टिस जी. एस. संधावालिया (Justice G. S. Sandhawalia) और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन (Justice Harpreet Kaur Jeevan) शामिल हैं। अब जस्टिस अरुण पल्ली (Justice Arun Palli) और जस्टिस जगमोहन बंसल (Justice Jagmohan Bansal) की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।

बेंच ने बुलडोज़र कार्रवाई पर किया था सवाल

दरअसल, जस्टिस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि 'जिन इमारतों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है, क्या वो किसी एक खास समुदाय के लोगों की हैं? क्या सरकार कानून-व्यवस्था की आड़ में ऐसा कर रही है?' हाई कोर्ट ने खट्टर सरकार को एक नोटिस भी जारी किया था।



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