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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक ने एक निचली अदालत के जज को किया बर्खास्त, जानें क्या है मामला
Supreme Court: जिस जज को बर्खास्त किया गया है उनपर बिना पूरा जजमेंट लिखे केवल निष्कर्ष वाले हिस्से को खुली अदालत में बोलने का आरोप था।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के एक निचली अदालत के जज को पद से बर्खास्त करने का फैसला सुनाया। लोअर ज्यूडिशिरी के खिलाफ शीर्ष अदालत के इस कड़े फैसले की काफी चर्चा हो रही है। जिस जज को बर्खास्त किया गया है उनपर बिना पूरा जजमेंट लिखे केवल निष्कर्ष वाले हिस्से को खुली अदालत में बोलने का आरोप था। उन्हें इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट की फुल बेंच ने दोषी बनाते हुए बर्खास्त कर दिया था। लेकिन डबल बेंच ने उन्हें राहत दे दी थी।
बुधवार को जज के खिलाफ फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारी फैसले को पूरा लिखे व तैयार किए बगैर केवल उसके निष्कर्ष वाले पार्ट को ओपन कोर्ट में जाहिर नहीं कर सकते हैं। उक्त जज ने कोर्ट में अपने बचाव में कहा था कि स्टेनोग्राफर की अक्षमता और अनुभव की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार है। लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी इस दलील को अनसुना कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर गलती केवल स्टेनोग्राफर की ही थी तो बतौर गवाह कोर्ट में उसे बुलाने की जिम्मेदारी आपकी थी।
रजिस्ट्रार ने डबल बेंच के फैसले को दी थी चुनौती
लोअर कोर्ट में जजमेंट के केवल निष्कर्ष वाले हिस्से के पढ़ने के आरोपी जज को कर्नाटक उच्च न्यायलय की फुल बेंच ने बर्खास्त कर दिया था। उक्त जज इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच के पास चले गए, जहां से उन्हें राहत मिल गई और उन्हें पद पर फिर से बहाल कर दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उक्त जज का कंडक्ट स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के प्रति नाराजगी भी जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की तल्ख टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जे चेलमेश्वर ने जजों के खिलाफ बेहद तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि कुछ जज बेहद आलसी होते हैं। वे समय पर फैसले तक नहीं लिख पाते, उन्हें ऐसा करने में सालों लग जाता है। चेलमेश्वर ने तो यहां तक कह दिया कि कई जजों को काम करने भी नहीं आता है। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये बेहद अपारदर्शी तरीके से काम करता है। अगर जजों के खिलाफ कोई आरोप सामने आता है, तो अक्सर उसके खिलाफ कोई एक्शन ही नहीं लिया जाता।