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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-ED को जांच, गिरफ़्तारी का अधिकार, विपक्ष को बड़ा झटका, PMLA के खिलाफ याचिका रद्द

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने प्रीवेंशन ऑफ मना लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत होने वाली गिरफ्तारी बरकरार रखते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई मनमानी नहीं है। और अदालत ने इस एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

Krishna Chaudhary
Published on: 27 July 2022 7:16 AM GMT (Updated on: 27 July 2022 12:31 PM GMT)
supreme court ask can governors could grant mass remission of sentences to convicts
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Supreme Court (image social media)

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Supreme Court: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रीवेंशन ऑफ मना लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत होने वाली गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई मनमानी नहीं है। अदालत ने इस एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा कहा। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस रवि कुमार की बेंच ने पीएमएलए के उन प्रावधानों की वैधता को कायम रखा है, जिनके खिलाफ आपत्तियां लगाई गई थीं। शीर्ष अदालत का ये फैसला उन विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका है, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर पीएमएलए के तहत मनमाना कार्रवाई करने का आरोप लगाते रहे हैं।

बता दें कि कांग्रेस के लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती समेत 242 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी, जांच और जब्ती की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।

क्या कहा गया था याचिका में

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ति या कुर्की करने का अधिकार क्रिमनल प्रोसेडिंग एक्ट (सीआरपीसी) के दायरे से बाहर है। दायर की गई याचिकाओं में मांग की गई थी कि पीएमएलए के कई प्रावधान गैर संवैधानिक हैं, क्योंकि इनमें संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है। इसलिए ईडी को जांच के समय सीआरपीसी का पालन करना चाहिए। इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिशेष मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने अदालत में अपना पक्ष रखा था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कही गईं बातें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ईडी के गिरफ्तारी के अधिकार, संपत्ति को अटैच करने का अधिकार, छापा मारने और बयान लेने के अधिकार को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि शिकायत की कॉपी (ईसीआईआर) को आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अधिकारी नहीं) के समक्ष दिए दर्ज बयान को वैद्य सबूत के तौर पर लिया जाएगा।

बता दें कि अवैध कमाई को वैद्य कमाई में बदलना ही मनी लॉन्ड्रिंग है। पीएमएलए साल 2005 में देश में लागू किया गया। इसका मकसद धन शोधन को रोकना और उससे अर्जित संपत्ति को जब्त करना है। वर्तमान में ईडी के समक्ष देशभऱ में तीन हजार मामले जांच के लिए दर्ज हैं। ईडी ने अब तक 1 लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दाखिल की है।

लोक सभा में सरकार ने क्या कहा था?

मोदी सरकार ने लोकसभा में बीते सोमवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि 17 साल पहले कानून के लागू होने के बाद PMLA के तहत दर्ज 5,422 मामलों में केवल 23 लोगों को दोषी ठहराया गया है। सरकार ने बताया कि 31 मार्च, 2022 तक ईडी ने PMLA के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की, जिसमें 869.31 करोड़ रुपये जब्त किए गए और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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