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Supreme Court की केंद्र को फटकार, पूछा- अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ क्यों नहीं करते कार्रवाई?
Supreme Court blasts Centre: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, कि 'केंद्र भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।'
Supreme Court blasts Centre: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार (25 जुलाई) को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा, कि 'केंद्र भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।' दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए नागालैंड में महिलाओं को आरक्षण देने में विफल रहने पर सरकार से सवाल किया।' सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीजेपी शासित राज्य मणिपुर में हुई हिंसा का भी जिक्र किया।
सर्वोच्च न्यायालय ने बीजेपी शासित राज्यों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में विफल रहने पर केंद्र को फटकार लगाई। पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में आरक्षण मुद्दे (Reservation in Nagaland) पर केंद्र सरकार के शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणियां की।
महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि, 'राज्य में महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया? कोर्ट ने केंद्र से कहा, आप अपनी ही पार्टी की राज्य सरकारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं? आप अन्य राज्य सरकारों के खिलाफ तो कड़ा रुख अपनाते हैं, जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन जिस राज्य में आपकी पार्टी की सरकार होती है, वहां आप कुछ नहीं करते?'
'कई महिला संगठनों ने आरक्षण लेने से इंकार किया'
जस्टिस कौल (Justice Kaul) ने पूछा, 'क्या महिलाओं के लिए रिजर्वेशन के खिलाफ कोई प्रावधान है? महिलाओं की भागीदारी का विरोध क्यों, जब जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाएं समान रूप से शामिल हैं।' इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल नागालैंड बोले, कई ऐसे महिला संगठन हैं जो कहते हैं कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए। ये कोई छोटी संख्या नहीं है। ये पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं।'
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दिया समय
जस्टिस कौल ने सुनवाई के दौरान कहा, 'केंद्र सरकार इस मुद्दे से अपना हाथ नहीं झाड़ सकती। इसका कार्य इस तथ्य से सरल हो गया है कि राज्य में राजनीतिक व्यवस्था केंद्र में राजनीतिक व्यवस्था के अनुरूप है। उन्होंने कहा, चीजों को अंतिम रूप देने के लिए राज्य को अंतिम अवसर देना चाहिए। इस मामले में कोर्ट ने 26 सितंबर, 2023 तक का समय दिया है। जस्टिस ने आगे कहा, यदि आप अगली बार समाधान नहीं ढूंढते हैं तो हम मामले की सुनवाई करेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे।