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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी पर वाराणसी कोर्ट में केस रोकने पर सुनवाई से SC ने किया इनकार, कोर्ट ने ये कहा
Gyanvapi Case: वकील ने दावा किया कि 90 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर और मस्जिद की यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। उस आधार पर अब हो रही सुनवाई SC के आदेश के खिलाफ है।
Gyanvapi Case: वाराणसी की अदालत में चल रहे ज्ञानवापी मामले की सुनवाई (Hearing of Gyanvapi Case) को अनुचित बताने वाली याचिका सुनने से देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court on Gyanvapi Case) ने इंकार कर दिया है। दरअसल, एक वकील ने दावा किया था कि 90 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर और मस्जिद की यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। उस आधार पर अब हो रही सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता चाहें तो हाई कोर्ट जाकर अपनी बात रख सकता है।
याचिकाकर्ता की क्या है मांग?
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका वकील एमएम कश्यप (Advocate MM Kashyap) ने दायर की थी। वकील ने अपनी याचिका में कहा, कि साल 1993, 1995 तथा 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने काशी और मथुरा पर तीन आदेश दिए थे। इन आदेशों में दोनों जगहों पर मौजूद वर्तमान मंदिर व मस्जिद की यथास्थिति बनाए रखने को कहा गया था। एडवोकेट एमएम कश्यप ने इसी को आधार बनाते हुए वाराणसी के जिला जज की अदालत में चल रही मौजूदा सुनवाई को निरस्त करने की मांग की थी।
पुराने मामले की दी जानकारी
आपको बता दें कि, अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) से जुड़े कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले असलम भूरे (Aslam Bhure) के वकील एमएम कश्यप ही हुआ करते थे। कश्यप का दावा था कि 90 के दशक में काशी और मथुरा पर तीनों आदेश भी असलम भूरे की याचिकाओं पर ही आए थे। मोहम्मद असलम भूरे की वर्ष 2010 में देहांत हो चुका है। ऐसे में कश्यप ने स्वयं याचिका दायर कर कोर्ट को पुराने आदेश की जानकारी दी।
जानें क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और हिमा कोहली (Hima Kohli) की दो सदस्यीय बेंच ने कहा, कि सुनवाई निचली अदालत में चल रही है। इस संबंध में जितनी भी याचिकाएं सर्वोच्च अदालत में आई हैं, सभी को निचली अदालत या हाई कोर्ट जाने को कहा है। इस मामले की भी सीधी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं होगी। कोर्ट ने आगे कहा, यदि याचिकाकर्ता (Gyanvapi Case Petitioner) को निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर आपत्ति है, तो वो इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं। इस टिप्पणी के साथ ही दोनों जस्टिस ने मामला सुनने से इनकार कर दिया।