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VIP Entry in Temple: मंदिरों में VIP एंट्री को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार, जानिए CJI बेंच ने क्या कहा

Supreme Court on VIP Entry in Temple: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के मंदिरों में वीआईपी प्रवेश को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया।

Sakshi Singh
Published on: 31 Jan 2025 1:35 PM IST (Updated on: 31 Jan 2025 7:12 PM IST)
Supreme Court on VIP Entry in Temple
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Supreme Court on VIP Entry in Temple

Supreme Court on VIP Entry in Temple: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के मंदिरों में वीआईपी प्रवेश को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि हालांकि वे याचिका में उठाए गए मुद्दे से सहमत हो सकते हैं, लेकिन यह मामला न्यायालय के लिए इस संबंध में निर्णय लेने या कोई निर्देश देने के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि राज्य के अधिकारी उचित निर्णय ले सकते हैं, जैसा वे उचित समझें।

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट का इस मसले पर सलाह है कि मंदिरों में इस तरह की सुविधाओं जो खास लोगों को दी जाती हैं वो नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही सीजेआई की बेंच ने ये भी स्‍पष्‍ट किया कि इस मामले पर कोर्ट कोई निर्देश पारित नहीं रहा है। हमें नहीं लगता है कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दिए गए विशेष अधिकार का प्रयोग करना चाहिए।

पिछली सुनवाई का तर्क क्या था

मंदिरों में VIP दर्शन और भेदभाव को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी को सुनवाई करने के लिए तारीख तय किया था। सीजेआई बेंच ने पूर्व के आदेशों के मुताबिक शुकवार को यानी आज इसपर सुनवाई की। पिछली सुनवाई के दौरान ये तर्क दिया गया था कि मंदिरों में विशेष या जल्दी दर्शन के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलना तहत समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता की क्या है मांग

मंदिरों में वीआईपी प्रवेश को चुनौती देने वाला याचिका दायर करने वाले शख्स का नाम वकील आकाश वशिष्ठ है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि 12 ज्योतिर्लिंग होने के कारण कुछ एसओपी की जरुरत होती है। लेकिन वीआईपी दर्शन की पूरी व्यवस्था मनमानी है। अदालत ने वृंदावन के श्री राधा मदन मोहन मंदिर के पुजारी विजय किशोर गोस्वामी की ओर से भी इस मुद्दे पर दायर याचिका की सुनवाई की। उस याचिका में कहा गया था कि मंदिरों में वीआईपी कल्चर संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

Sakshi Singh

Sakshi Singh

Senior Content Writer

मेरा नाम साक्षी सिंह है। मूलत: प्रयागराज की रहने वाली हूं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने बैचलर और मास्टर दोनों ही जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन विषय से किया है। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक जागरण (प्रिंट) से किया। दैनिक भास्कर (डिजिटल) में प्रयागराज में फील्ड रिपोर्टर रही। इसके बाद मैंने अमृत विचार, राजस्थान पत्रिका और नवभारत डिजिटल में लगभग 18 महीने बतौर कंटेट राइटर काम किया। इस संस्थान में नेशनल और इंटरनेशनल की रियल टाइम की खबरें लिखती रही। इसके साथ ही इस संस्थान में मैंने यहां शिफ्ट इचार्ज के तौर पर टीम भी लीड किया है। इस क्षेत्र में काम करते हुए लगभग साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गए हैं। मेरी रुचि और पकड़ लगभग सभी विषयों पर है। लेकिन इंडियन पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में विशेष दिलचस्पी है।

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