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Supreme Court: अदालत में हो केस तो आरोपी को नहीं कर सकते गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED को SC की नसीहत

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में अगर ईडी को आरोपी की हिरासत चाहिए तो इसके लिए उसे संबंधित कोर्ट से ही कस्टडी की मांग करनी होगी।

Anshuman Tiwari
Published on: 16 May 2024 1:27 PM IST (Updated on: 16 May 2024 1:30 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट और ईडी (Pic: Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तारी के मामले में गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि यदि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दायर केस स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन हो तो ईडी बीच में किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई शख्स मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आरोपी हो और वह अदालत में पेश हुआ हो तो केस चलने के दौरान उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह बड़ा फैसला सुनाया है।

ईडी को पहले अदालत में करना होगा आवेदन

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर ईडी को किसी आरोपी को हिरासत में लेना हो तो पहले उसे संबंधित कोर्ट में इस बाबत आवेदन देना होगा। यदि अदालत ईडी के आवेदन से संतुष्ट होगी तो उसके बाद अदालत की ओर से आरोपी को ईडी की हिरासत में सौंपा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गिरफ्तारी को लेकर एक नियमावली तय कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट के इस हम फैसले को अब आगे के केसों में नजीर बनाया जा सकता है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जब कोई आरोपी किसी समन के अनुपालन में अदालत के समक्ष पेश होता है तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए पहले संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा।

आरोपी को हिरासत में नहीं माना जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अदालत की ओर से जारी समन के अनुपालन में आरोपी स्पेशल कोर्ट में पेश होता है तो उसे हिरासत में नहीं माना जा सकता। ऐसे आरोपी को जमानत के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है और इस तरह मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 45 की जुड़वा शर्तें लागू नहीं होती हैं। धारा 45 में जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान है जिसके कारण आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह के केसों में कई नेताओं और अन्य लोगों को लंबे समय तक जमानत नहीं मिल पाती है।

अदालत के आदेश पर ही मिलेगी कस्टडी

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में अगर ईडी को आरोपी की हिरासत चाहिए तो इसके लिए उसे संबंधित कोर्ट से ही कस्टडी की मांग करनी होगी। यदि एजेंसी के पास आरोपी से पूछताछ करने के लिए पुख्ता कारण होंगे तभी कोर्ट की ओर से ईडी को कस्टडी सौंपी जाएगी। यह मामला एक ऐसे केस में सामने आया है जहां यह बात उठी कि आरोपी को बेल पाने के लिए दोनों शर्तों को पूरा करना होगा। इस मामले में अदालत ने 30 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज शीर्ष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह आगे के लिए नजीर बन गया है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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