Gyanvapi Case: 'ज्ञानवापी का धार्मिक चरित्र तो देखना होगा', सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर मुस्लिम पक्ष से कहा

SC on Gyanvapi case: सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष के वकील से कहा कि, 'आप कह रहे हैं कि ये मामला 1992 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वजह से नहीं सुना जा सकता। लेकिन, उसका धार्मिक चरित्र क्या था? ये तो देखना होगा।'

aman
Report aman
Published on: 13 Oct 2023 2:33 PM GMT (Updated on: 13 Oct 2023 2:41 PM GMT)
Gyanvapi Case
X

Supreme Court on Gyanvapi Case (Social Media)

SC on Gyanvapi case: ज्ञानवापी मामले पर शुक्रवार (13 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष यानी 'अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी' की तरफ से पेश वकील हुजैफा अहमदी (Huzefa Ahmadi) ने कहा, 'मुख्य याचिका मेंटेनेबिलिटी (Maintainability) की है। अगर, ये मेंटेनेबिल नहीं रहा तो बाकी याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।' बता दें, सर्वोच्च न्यायालय ज्ञानवापी मामले में दाखिल कुल 3 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

CJI की अगुवाई वाली बेंच कर रही सुनवाई

मुस्लिम पक्ष की तरफ से हुजैफा अहमदी ने शीर्ष अदालत से कहा, कि 'सुनवाई टाल दी जाए। किसी रेगुलर मैटर वाले दिन सुनवाई की जाए। क्योंकि, आज कोर्ट का समय समाप्त हो रहा है।' सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' (Places Of Worship Act) को लेकर भी बहस हुई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली 3 जजों की बेंच कर रही है। इस बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) भी शामिल हैं।

'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' की वजह से नहीं सुना जा सकता

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष के वकील से कहा कि, 'आप कह रहे हैं कि ये मामला 1992 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वजह से नहीं सुना जा सकता। लेकिन, उसका धार्मिक चरित्र क्या था? ये तो देखना होगा।' इसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, 'हिन्दू पक्ष ने खुद ही कहा है कि वो मस्जिद थी, लेकिन हिन्दू पक्ष ने इससे इनकार दिया। फिर कहा, कि उसने ऐसा नहीं कहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 16 अक्टूबर मुक़र्रर की।

क्या है ज्ञानवापी विवाद?

ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Controversy) को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि, इसके नीचे 100 फीट ऊंचा 'आदि विश्वेश्वर' (Shri Adi Vishweshwar) का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य (Maharaja Vikramaditya) ने करवाया था। दावा किया जाता है कि, मुगल सम्राट औरंगजेब (Aurangzeb) ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वाकर यहां मस्जिद का निर्माण किया था। जो अब ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के रूप में जाना जाता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं।

aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story